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बांग्लादेश: खालिदा जिया पति की हत्या होने के बाद कैसे बनीं थी पहली महिला प्रधानमंत्री?
खालिदा जिया का 80 साल की उम्र में हुआ निधन

बांग्लादेश: खालिदा जिया पति की हत्या होने के बाद कैसे बनीं थी पहली महिला प्रधानमंत्री?

Dec 30, 2025
11:33 am

क्या है खबर?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख नेता बेगम खालिदा जिया का मंगलवार सुबह 80 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमारियों से जूझ रही थीं। उनके निधन के साथ बांग्लादेश की राजनीति के एक लंबे और निर्णायक अध्याय का अंत हो गया। खालिदा ने दशकों तक राष्ट्रीय राजनीति को दिशा दी थी। आइए जानते हैं पति की हत्या से पहले सामान्य महिला रही खालिदा कैसे प्रधानमंत्री पद तक पहुंची।

पुष्टि

BNP ने की खालिदा के निधन की पुष्टि

BNP ने अपने सोशल मीडिया पेज पर खालिदा के निधन की पुष्टि करते हुए लिखा, 'बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और BNP नेता खालिदा जिया का आज सुबह करीब 6 बजे, फज्र की नमाज के तुरंत बाद निधन हो गया। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और सभी से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का अनुरोध करते हैं।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक जताया है।

जीवन परिचय

खालिदा का जीवन परिचय 

खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त, 1945 को ब्रिटिश भारत के दिनाजपुर जिले (अब बांग्लादेश में) में हुआ था। उनका बचपन अपेक्षाकृत सामान्य रहा और शुरुआती जीवन में उनका राजनीति से कोई सीधा संबंध नहीं था। उनकी पहचान और जीवन की दिशा साल 1960 में तब बदली, जब महज 15 साल की उम्र में उनका निकाह बांग्लादेश के सैन्य अधिकारी जिया-उर-रहमान से हुआ, जो साल 1977 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति पद तक पहुंचे थे।

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राजनीति

खालिदा ने कैसे रखा राजनीति में कदम?

खालिदा की राजनीतिक यात्रा एक त्रासदी से शुरू हुई थी। उन्होंने अपने पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया, जिन्होंने 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और 1978 में BNP की स्थापना की। रहमान की 1981 में एक सैन्य तख्तापलट के दौरान हत्या कर दी गई थी। उसके बाद खालिदा ने BNP की कमान अपने हाथों में ली और जल्द ही देश की ताकतवर नेताओं में शुमार हो गईं।

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सफलता

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर हासिल की सफलता

1991 में बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली के बाद हुए चुनावों में खालिदा ने शानदार जीत दर्ज की और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। उसके बाद वे 1996 और 2001 में भी देश की प्रधानमंत्री रहीं। उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रवाद, सेना और प्रशासन की भूमिका और भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर कई बड़े फैसले हुए। समर्थक उन्हें सशक्त नेता मानते रहे, जबकि आलोचक उनके शासन को टकराव और ध्रुवीकरण वाला बताते हैं।

विवाद

खालिदा का विवादों से रहा नाता 

खालिदा का तीसरा कार्यकाल 2001 से 2006 तक रहा। इस दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था, निजीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान दिया, लेकिन दूसरी तरफ उनकी सरकार भ्रष्टाचार, राजनीतिक हिंसा, प्रशासन की कमजोरियां और कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा देने के आरोपों में घिरती चली गई। जिससे जनता का उनसे मोहभंग भी होना शुरू हो गया। उनकी प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अवामी लीग की नेता शेख हसीना रहीं। इन दोनों महिलाओं ने दशकों तक बांग्लादेश की राजनीति पर अपना दबदबा बनाए रखा।

इस्तीफा

खालिदा को साल 2006 में देना पड़ा था पद से इस्तीफा

साल 2006 में खालिदा के प्रति देश में बढ़ते विरोध के बीच उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा और उसके बाद देश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। साल 2008 में हुए आम चुनावों में आवामी लीग ने शानदार जीत दर्ज की और शेख हसीना पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद हसीना सरकार ने खालिदा के खिलाफ विभिन्न मामलों में 32 मुकदमे दर्ज किए। इनमें भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामले शामिल थे। इससे खालिदा की परेशानियां बढ़ती गई।

जेल

खालिदा को साल 2018 में भ्रष्टाचार के आरोपों में भेजा गया जेल

खालिदा को साल 2018 में भ्रष्टाचार के मामलों में जेल भेज दिया गया। इस दौरान उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ता चला गया। उनकी पार्टी और परिवार ने बार बार हसीना की सरकार से उनके बेहतर इलाज के लिए विदेश भेजने की मांग की, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। हालांकि, उनकी बीमारियों को देखते हुए हसीना सरकार ने 2020 में उनकी सजा को निलंबित कर दिया। इसके बाद साल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।

बीमारी

कई सालों तक बीमारियों से जूझी खालिदा

खालिदा कई वर्षों से अस्वस्थ थीं और उनकी सेहत लगातार बिगड़ती जा रही थी। वे अक्सर इलाज के लिए विदेश यात्रा करती थीं और हाल ही में, इसी साल मई में यूनाइटेड किंगडम (UK) में इलाज कराने के बाद ढाका लौटी थीं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, खालिदा कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं, जिनमें लीवर का गंभीर सिरोसिस, गठिया, मधुमेह, छाती और हृदय संबंधी समस्याएं शामिल रहीं। आखिरकार अब वह दुनिया को अलविदा कह गई।

संबंध

भारत के साथ कैसे रहे थे खालिदा के संबंध?

खालिदा को पाकिस्तान समर्थक कहा जाता था और भारत के साथ उनका रिश्ता अविश्वास से भरा रहा। उनके कार्यकाल में भारत-बांग्लादेश संबंध में मजबूती नहीं थी और बांग्लादेश को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने अपना ऑपरेटिंग बेस बना लिया था। उनके कार्यकाल में पूर्वोत्तर भारत में काफी ज्यादा घुसपैठ होती थी और उग्रवादी घटनाओं में भी इजाफा हुआ। इससे उन पर भारत विराेधी ताकतों को बांग्लादेश की धरती का उपयोग करने की छूट देने के आरोप लगते रहे।

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