क्या पाकिस्तान, चीन और रूस गुप्त रूप से कर रहे हैं परमाणु परीक्षण?
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले गुरुवार को परमाणु परीक्षणों पर 33 साल की रोक के बाद अपने युद्ध विभाग को परमाणु हथियारों का परीक्षण तुरंत फिर से शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि रूस, चीन और पाकिस्तान भी परमाणु परीक्षण करते हैं, लेकिन गतिविधियां सार्वजनिक नहीं करते हैं। उनके इस दावे ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या वास्तव में पाकिस्तान, चीन और रूस ने परीक्षण किए हैं?
घोषणा
परमाणु परीक्षण पर ट्रंप ने क्या की है घोषणा?
ट्रंप ने गत 30 अक्टूबर कहा था, "अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण मैंने युद्ध विभाग को हमारे परमाणु हथियारों का समान आधार पर परीक्षण शुरू करने के निर्देश दिए हैं। यह प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी।" बता दें कि अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में परमाणु विस्फोट परीक्षण किया था। उसके बाद 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) पारित की। इसने वायुमंडल, समुद्र या भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोटों पर प्रतिबंध लगा दिया।
आरोप
ट्रंप ने रूस, चीन और पाकिस्तान पर लगाया आरोप
ट्रंप ने CBS न्यूज के साथ साक्षात्कार में कहा, "रूस और चीन परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते। हम एक खुले हुए देश हैं। हम अलग हैं। हम इसके बारे में बात करते हैं। हमें इसके बारे में बात करनी ही होगी, क्योंकि अन्यथा आप लोग रिपोर्ट करेंगे। हम परीक्षण करने जा रहे हैं क्योंकि वे परीक्षण करते हैं। निश्चित रूप से उत्तर कोरिया परीक्षण कर रहा है। पाकिस्तान भी परीक्षण कर रहा है।"
परीक्षण
जमीन के नीचे हो रहा परीक्षण- ट्रंप
ट्रम्प ने दावा है कि किया कि अमेरिका को यह नहीं पता है कि कि परमाणु हथियारों का परीक्षण करने वाले ये देश कहां परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन ये सच है कि परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "वे जमीन के नीचे परीक्षण करते हैं जहां लोगों को ठीक से पता नहीं होता कि परीक्षण में क्या हो रहा है। आपको एक झटका या कंपन सा महसूस होता है। इसलिए हमें परीक्षण करना ही पड़ता है।"
सच्चाई
क्या देश परमाणु हथियार परीक्षण कर रहे हैं?
इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि 1990 के दशक के बाद से उत्तर कोरिया के अलावा किसी और देश ने परमाणु हथियार परीक्षण किया हो। दरअसल, किसी भी परमाणु परीक्षण का पता लगाने के लिए व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (CTBTO) को जिम्मेदार बनाया गया है। वियना स्थित यह एजेंसी एक अंतर्राष्ट्रीय निगरानी प्रणाली (IMS) चलाती है जिसे परमाणु परीक्षण के सबसे छोटे संकेत का भी पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है।
सूचना
IMS से कैसे चलता है परमाणु परीक्षण का पता?
IMS में वायु-परीक्षण केन्द्र शामिल हैं, जो वायुमंडल में रेडियोधर्मी तत्वों की सूक्ष्म मात्रा का पता लगाते हैं, पानी के अंदर होने वाले परीक्षणों को सुनने के लिए जलीय श्रवण केन्द्र, वायुमंडल में विस्फोटों की कम आवृत्ति वाले धमाकों और गड़गड़ाहट को पकड़ने के लिए इन्फ्रासाउंड डिटेक्टर और भूमिगत परीक्षणों के कारण पृथ्वी के कंपन को रिकॉर्ड करने के लिए भूकंपमापी यंत्र शामिल हैं। ऐसे में दुनिया में अभी तक नए परमाणु परीक्षण होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।
परीक्षण
प्रतिबंध संधि के बाद हुए 10 परमाणु परीक्षण
साल 1996 की परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद से केवल 10 परमाणु परीक्षण हुए हैं। 1998 में भारत और पाकिस्तान ने 2-2 परमाणु परीक्षण किए थे। उत्तर कोरिया ने 2006, 2009, 2013, 2016 और 2017 में परमाणु परीक्षण किए हैं। उसने 2016 में 2 परीक्षण किए थे। हालांकि, हर कोई इससे सहमत नहीं है। अप्रैल की शुरुआत में एक अध्ययन से पता चला था कि कुछ भूकंप वास्तव में गुप्त भूमिगत परमाणु परीक्षण हो सकते हैं।
सवाल
रूस ने कैसे किया परीक्षण?
हाल ही में रूस ने एक नई परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल (बुरेवेस्टनिक) का सफल परीक्षण किया है। इसके बाद, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक और प्रलयकारी हथियार (परमाणु संचालित अंडरवाटर ड्रोन) के सफल परीक्षण की घोषणा की, जिसके बारे में रूस का कहना है कि इसका इस्तेमाल तटीय शहरों पर हमला करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ये परीक्षण परमाणु विस्फोट नहीं थे। ऐसे में इस पर अभी भी संशय बना हुआ है।
योजना
परमाणु परीक्षण के संबंध में क्या है अमेरिका की योजना?
भले ही ट्रंप परमाणु परीक्षण की अपनी योजना के बारे में अस्पष्ट हैं, लेकिन उनके ऊर्जा सचिव और भविष्य के परमाणु परीक्षणों के जिम्मेदार क्रिस राइट ने रविवार को योजनाओं पर कुछ स्पष्टता दी है। उन्होंने फॉक्स न्यूज से कहा, "अमेरिकी परमाणु परीक्षणों में परमाणु विस्फोट शामिल नहीं होंगे। मुझे लगता है कि हम अभी जिन परीक्षणों की बात कर रहे हैं, वे सिस्टम परीक्षण हैं। ये परमाणु विस्फोट नहीं हैं। इन्हें हम गैर-महत्वपूर्ण विस्फोट कहते हैं।"