विदेशों में कोयला संयंत्रों को आर्थिक मदद देना बंद करेगा चीन, राष्ट्रपति ने किया ऐलान
क्या है खबर?
चीन ने ऐलान किया है कि वह अब दूसरे देशों में कोयले से चलने वाले प्रोजेक्ट्स को आर्थिक मदद नहीं देगा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह ऐलान कर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सबको चौंका दिया।
बता दें कि चीन अभी तक बांग्लादेश और इंडोनेशिया आदि देशों को कोयला प्रोजेक्ट में मदद देता आया है और उस पर पेरिस समझौते में तय किए गए कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए यह सहायता बंद करने का भारी दबाव था।
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ग्रीन एनर्जी के लिए मदद देगा चीन- जिनपिंग
मंगलवार को पहले से रिकॉर्डेड वीडियो के जरिये महासभा को संबोधित करते हुए जिनपिंग ने कहा, "चीन दूसरे विकासशील देशों की कम कार्बन वाली और ग्रीन एनर्जी पैदा करने में मदद करेगा।" हालांकि, उन्होंने अपने संबोधन में योजना की विस्तृत जानकारी नहीं दी थी।
उनके इस ऐलान की काफी सराहना की जा रही है।
इससे पहले मंगलवार को ही दक्षिण कोरिया और इसी साल की शुरुआत में जापान ने भी ऐसा ही ऐलान किया था।
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अमेरिका ने भी की क्लीन एनर्जी के लिए मदद बढ़ाने की घोषणा
जिनपिंग ने यह ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति की उस घोषणा के कुछ ही घंटे किया था, जिसमें जो बाइडन ने कहा कि वो उन गरीब देशों की दी जाने वाली मदद दोगुना करने का विचार कर रहे हैं, जो क्लीन एनर्जी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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अमेरिका ने किया घोषणा का स्वागत
जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका के विशेष दूत जॉन कैरी ने जिनपिंग की घोषणा का स्वागत करते हुए इसे महान योगदान बताया और कहा कि यह नवंबर में ग्लासगो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 'कॉप 26' का अच्छा आधार है।
उन्होंने कहा, "हम इसके लिए लंबे समय से बात कर रहे थे और मुझे बहुत खुशी है कि राष्ट्रपति जिनपिंग ने इसका ऐलान कर दिया है।"
कई विशेषज्ञों ने इस फैसले को 'गेमचेंजर' बताया है।
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ब्रिटेन ने भी की सराहना
ब्रिटेन के कैबिनेट मंत्री और कॉप 26 शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने भी चीन के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि चीन दौरे के दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट में क्लाइमेट एंड इकोनॉमिक्स की उप प्रमुख हेलेन माउंटफोर्ड ने कहा कि यह 'सबसे गंदे जीवाश्म ईंधन से दूर जाने का टर्निंग प्वाइंट' है। हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन अब भी अपने देश में कोयले पर निवेश कर रहा है।
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चीन का सरकारी बैंक देता आया है सबसे बड़ी मदद
आंकड़े बताते हैं कि 2013 से 2019 के बीच चीन अपने देश से बाहर बने 13 प्रतिशत कोयला संयंत्रों को आर्थिक मदद दे रहा था। कई गैर सरकारी संगठनों ने बताया था कि चीन का सरकारी बैंक कोयला संयंत्रों का सबसे बड़ा मददगार है।
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गुटरेस बोले- कोयले का इस्तेमाल रोकने बेहद जरूरी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने चीन और अमेरिका की घोषणाओं का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोयले का इस्तेमाल रोकना सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
बता दें कि 2016 में हुए पेरिस समझौते में सभी देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तुरंत कार्रवाई शुरू करने और अपने कार्बन उत्सर्जन को पूर्व निर्धारित सीमा से नीचे रखने पर पर राजी हुए थे।