फ्रांस: दुनिया की सबसे बुजुर्ग इंसान ल्यूसिल रैंडन का 118 साल की उम्र में निधन
दुनिया की सबसे बुजुर्ग इंसान के रूप में पहचाने जाने वाली नन ल्यूसिल रैंडन का 118 वर्ष की आयु में निधन हो गया। रैंडन को सिस्टर आंद्रे के नाम से भी जाना जाता था। उनकी मृत्यु फ्रांस के टूलॉन में सेंट-कैथरीन-लेबौरी नर्सिंग होम में मंगलवार को सोने के दौरान हुई। रैंडन के प्रवक्ता डेविड तावेल्ला ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि रैंडन की यही इच्छा थी, ताकि वह अपने प्यारे दिवंगत भाई से मिल सकें।
टूलॉन के मेयर ने दी रैंडन की मृत्यु की जानकारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ल्यूसिल रैंडन के निधन की जानकारी टूलॉन के मेयर ह्यूबर्ट फाल्को ने ट्विटर पर शेयर की। उन्होंने लिखा, 'यह बहुत दुख की बात है कि मुझे आज रात दुनिया की सबसे बुजुर्ग इंसान सिस्टर आंद्रे के निधन के बारे में जानकारी मिली।' बता दें कि जापान से केन तनाका की पिछले साल 119 वर्ष की आयु में मृत्यु से पहले रैंडन को सबसे बुजुर्ग यूरोपीय के रूप में जाना जाता था।
अगले महीने 119 साल की होने वाली थीं रैंडन
रैंडन का जन्म 11 फरवरी, 1904 को दक्षिणी फ्रांस में हुआ था। इसी साल न्यूयॉर्क ने अपना पहला सबवे भी खोला था। प्रोटेस्टेंट परिवार में पली-बढ़ी रैंडन चार भाइयों में एक अकेली लड़की थीं। उन्होंने छोटी उम्र में ही अमीर परिवारों के बच्चों के लिए पेरिस में एक शिक्षक और गवर्नर के रूप में काम किया था। वह 1979 से नर्सिंग होम में और 2009 से टूलॉन होम में कार्यरत थीं।
कोरोना वायरस से भी हो चुकी थी संक्रंमित
नर्सिंग होम में रहते हुए रैंडन साल 2021 में कोरोना वायरस से भी संक्रंमित हो गई थीं, लेकिन उन्हें इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी। वह उस वक्त भी सिर्फ नर्सिंग होम के निवासियों और धर्मशाला के कर्मचारियों के बारे में और भोजन के समय और प्रार्थना के बारे में ही सोचती रहती थीं। वह वायरस से संक्रंमित होने के बाद तो बच गई, लेकिन वहां के अन्य 10 लोगों की वायरस से मृत्यु हो गई थी।
रैंडन ने अपने काम को बताया था अपने इतना जिंदा रहने की वजह
रैंडन ने 2022 में कहा था कि उनके काम और दूसरों की देखभाल करने से ही शायद वह सक्रिय और अभी भी जिंदा हैं। उन्होंने कहा था, "लोग कहते हैं कि हमारा काम हमे मार देता है, लेकिन मेरे लिए काम ने ही मुझे जिंदा रखा। मैं 108 साल की उम्र तक काम करती रही।" आंखों की रोशनी जाने के बाद और व्हीलचेयर पर होने के बावजूद रैंडन अपने से कम उम्र के बुजुर्गों की भी देखभाल करती थीं।
रैंडन ने 20 से अधिक राष्ट्रपति के कार्यकाल देखे
रैंडन ने फ्रांस के संविधान में चार बदलाव और 20 से अधिक राष्ट्रपतियों के कार्यकाल देखे। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में अपने दो भाइयों को भी खो दिया था। इसके बारे में बात करते हुए रैंडन ने मीडिया से कहा था, "इस बीच मुझे जीवन में बहुत दुख हुआ था। मैं उस वक्त छोटी थी और मुझे बहुत कष्ट उठाने पड़े थे। इस दौरान परिवार में दो लोग जिंदा थे और दो भाइयों का निधन हो गया था।"