कौन थे ऑस्ट्रेलिया के जेम्स हैरिसन? जिन्होनें जीवित रहते हुए बचाई थी लाखों बच्चों की जान
क्या है खबर?
रक्तदान करना समाज के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे जीवन बचाना और जरूरतमंद लोगों की मदद करना संभव हो पाता है।
ज्यादातर लोग इस नेक कदम के लिए आगे आने से कतराते हैं। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले एक व्यक्ति ने रक्तदान के जरिए लाखों बच्चों की जान बचाई थी।
उनका नाम जेम्स हैरिसन था, जिन्होनें 17 फरवरी को अपनी अंतिम सांस ली। आइए जानते हैं वह कौन थे और उन्होंने कैसे लाखों बच्चों को जीवन दान दिया।
हैरिसन
लोग हैरिसन को कहते थे 'सुनहरे हाथ वाला आदमी'
हैरिसन को दुनिया का सबसे बड़ा रक्त और प्लाज्मा दानकर्ता कहा जाता है, क्योंकि उनके प्लाज्मा के जरिए करीब 24 लाख बच्चों की जान बचाई जा चुकी है।
लोग उन्हें प्यार से 'सुनहरे हाथ वाला आदमी' कहकर पुकारते थे। 88 साल की आयु में उनका ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स स्थित नर्सिंग होम में निधन हो गया था, जब वह नींद में थे।
हैरिसन के खून में एक दुर्लभ प्रकार की एंटीबॉडी मौजूद थी, जिसे एंटी-D कहा जाता है।
शुरुआत
हैरिसन ने क्यों किया था रक्तदान करने का फैसला?
14 साल की उम्र में हैरिसन की छाती का ऑपरेशन हुआ था। उस वक्त औरों के रक्त के जरिए ही उनकी जान बची थी।
उसी वक्त उन्होंने यह संकल्प ले लिया था कि वह बड़े हो कर रक्तदान करेंगे और 4 साल बाद उन्होंने पहली बार यह वादा निभाया।
उन्हें सुई से डर लगता था, लेकिन अपने डर को हराते हुए उन्होंने यह नेक काम जारी रखा। एक दशक बाद पता चला कि उनके खून में एक महत्वपूर्ण एंटीबॉडी थी।
रिकॉर्ड
2005 से 2020 तक रहे सबसे ज्यादा रक्तदान करने वाले व्यक्ति
हैरिसन ने 18 की उम्र से प्लाज्मा दान करना शुरू किया था। वह 81 साल की उम्र तक हर 2 हफ्ते में ऐसा करते थे।
2005 में उन्होंने सबसे ज्यादा रक्त प्लाज्मा दान करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि, 2022 में अमेरिका के एक व्यक्ति ने उनका रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
वह हमेशा कहा करते थे, "मुझे इतनी सारे बच्चों की जान बचाने पर गर्व महसूस होता है। मुझे ऐसा करते वक्त कोई दर्द भी नहीं होता।"
एंटी-D
एंटी-D टीके का कैसे होता है इस्तेमाल?
हैरिसन के खून में मौजूद एंटीबॉडी गर्भवती माताओं की दवा बनाने में इस्तेमाल होती है। एंटी-D टीके अजन्मे शिशुओं को भ्रूण और नवजात शिशु के हेमोलिटिक रोग (HDFN) नामक घातक विकार से बचाते हैं।
यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होती है, जब मां की लाल रक्त कोशिकाएं उनके शिशु को नुकसान पहुंचाने लगती हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हैरिसन के रक्त में एंटी-D आने का कारण 14 वर्ष की आयु में उन्हें दिया गया खून था।