इस गांव के लोग करते हैं चमगादड़ों की पूजा, गांववालों का मानना- महामारी से बचाते हैं
क्या है खबर?
कोरोना वायरस नामक महामारी ने दुनियाभर में आतंक मचाया हुआ है। इस बीमारी की चपेट में आने से दुनिया में अब तक 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लाखों लोग इससे संक्रमित हैं।
ऐसे में जहां एक तरफ इसके फैलने का कारण चमगादड़ों को माना जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ एक गांव के लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि चमगादड़ उन्हें महामारी से बचाते हैं।
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मामला
देवता के रूप में चमगादड़ों को पूजते हैं गांववाले
चमगादड़ों को पूजने वाला गांव बिहार के वैशाली जिले में स्थित है, जिसका नाम सरसई (रामपुर रत्नाकर) है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरसई गांव के लोग चमगादड़ों को 'ग्राम देवता' के रूप में मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं और उनको संपन्नता का प्रतीक मानते हैं।
दरअसल, गांववालों का मानना है कि जिस इलाके में चमगादड़ निवास होता है, वहां धन की कमी नहीं होती है। साथ ही चमगादड़ उनके पूरे गांव की रक्षा करते हैं।
बयान
एक तलाब के किनारे बसे हैं सैकड़ों की संख्या में चमगादड़
इस गांव के एक तालाब के किनारे पीपल के पेड़ पर और उसके आसपास के अन्य पेड़ों पर सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ निवास करते हैं।
इसी वजह से यह गांव अपने पूरे इलाके में मशहूर है, जिसे लोग दूर-दूर से इन्हें देखने के लिए आते हैं।
गांववालों का कहना है कि गांव में अगर रात के समय कोई बाहरी व्यक्ति आता है तो चमगादड़ शोर मचाने लगते हैं जबकि गांव वालों के आने पर ये शांत रहते हैं।
अंधविश्वास
किसी भी तरह की महामारी से दूर रखते हैं चमगादड़
गांववालों के मुताबिक, उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि गांव में चमगादड़ कब से निवास कर रहे हैं, लेकिन उनकी माने तो मध्यकाल में एक बार वैशाली जिले में महामारी फैली थी, तब से चमगादड़ कहीं से उड़कर यहां आ गए थे।
उनका मानना है कि चमगादड़ों की वजह से ही यहां कभी महामारी नहीं फैलती।
आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव में किसी भी शुभ कार्य करने से पहले लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं।