राजस्थान: शादी में दूल्हे को रहना होगा क्लीन शेव, 19 गांवों में जारी हुआ फरमान
जब शादी की बात आती है तो हर समुदाय के अपने रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं, लेकिन राजस्थान में कुमावत समुदाय ने कुछ ऐसे विचित्र नियम लागू किए हैं, जिनमें से एक यह है कि दाढ़ी वाले युवाओं को शादी करने की अनुमति नहीं है। यह नियम राजस्थान के पाली जिले के 19 गांव के युवाओं के लिए हैं, जिनका शादी से पहले क्लीन शेव करवाना अनिवार्य होगा। आइए पूरी खबर जानें।
प्रतिनिधियों ने नियमों के लिए रखी थी विशेष बैठक
टाइम्स नाउ के अनुसार, 19 गांवों के प्रतिनिधियों ने पाली के पुराने बस स्टैंड के नजदीक मारू कुम्हारों की बगीची में एक विशेष सभा रखी और उस दौरान शादी से जुड़े नए नियमों का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में समाज के लोगों ने तर्क दिया कि शादी एक संस्कार है और दूल्हे को इसमें राजा के रूप में देखा जाता है, ऐसे में अगर दूल्हा शादी में बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ रस्में निभाता है तो यह अशोभनीय है।
फैशन से नहीं कोई दिक्कत
समुदाय के लोगों ने यह भी कहा, "शादी में किए जाने वाले फैशन से हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इस तरह से शादी करना समाज को स्वीकार्य नहीं है।" इस बैठक में सभी प्रतिनिधियों ने तालियों के साथ इस प्रस्ताव को पारित किया।
ये नियम भी हैं प्रस्ताव में शामिल
समुदाय ने शादियों और अन्य अवसरों को आसान बनाने के लिए खर्चों में कटौती करने का भी फैसला किया है। शादी समारोहों के दौरान डीजे और अफीम पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं, हल्दी समारोह के दौरान पीले रंग की चीजों का इस्तेमाल करने की भी अनुमति नहीं है। हल्दी सेरेमनी के दौरान नियमों का पालन नहीं करने और सजावट आदि पर ज्यादा खर्च करने वालों पर भी जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, अभी इसकी राशि तय नहीं है।
अफीम परोसने के रिवाज और फिजूलखर्ची को खत्म के लिए बनाए गए नियम
बैठक में शादी और किसी की मौत पर होने वाले भोज आदि पर अफीम परोसने पर भी रोक लगाई है। बता दें कि पश्चिमी राजस्थान में शादी या किसी भी अवसर पर मिलन के मौके पर अफीम परोसने का रिवाज है। इसके अतिरिक्त, शादी की हल्दी वाली रस्म में पीले रंग की चीजें जैसे पीले कपड़े, पीले फूल और पीले श्रृंगार आदि के नाम पर हो रही फिजूलखर्ची को रोकने के लिए इन नियमों का फरमान जारी किया गया है।
गहनों और खाद्य पदार्थों की सीमा भी निर्धारित
नियमों में दुल्हन के सोने-चांदी के गहनों की मात्रा भी तय की गई है। सगाई और अन्य रस्मों में दुल्हन के कपड़ों समेत अधिकतम दो तोला सोना और चांदी के दो जोड़ी छड़ा व एक कंदोरा दिया जा सकता है। वहीं, मायरे में अधिकतम पांच तोला सोना, आधा किलो चांदी और 51,000 रूपये नकद दिए जा सकते हैं। समुदाय ने शादियों और अन्य समारोहों में परोसे जाने वाले खाद्य पदार्थों की संख्या भी तय की है।
समुदाय के लोगों की सहूलियत के लिए बनाए गए हैं नियम- लक्ष्मी नारायण
समुदाय अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण का कहना है, "आजकल शादियां भव्य हो गई हैं, जो समुदाय के मध्यम वर्ग और निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए चिंता का विषय है, इसलिए हमने उन्हें सरल और अपने रीति-रिवाजों के अनुसार बनाने का फैसला किया है।" उन्होंने कहा कि ये नियम जिले के सभी लोगों पर लागू होते हैं, भले ही वे अलग-अलग शहरों में चले गए हों। उनके समाज में लगभग 20,000 सदस्य हैं और सभी को इनका पालन करना चाहिए।