चीन के चिड़ियाघर ने कुत्तों पर पेंट करके बनाया पांडा, जानिए कारण
चीन के एक चिड़ियाघर में कुत्तों को पांडा बनाकर प्रदर्शित करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। देश के जियांग्सू प्रांत के ताइझोउ नामक चिड़ियाघर के अधिकारियों द्वारा पांडा जैसा दिखाने के लिए 2 कुत्तों को काले और सफेद रंग में रंगने के बाद चिड़ियाघर को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आइए जानते हैं कि चिड़ियाघर के ऐसा करने के पीछे क्या कारण है।
चिड़ियाघर के खिलाफ लगाए गए पशु क्रूरता के आरोप
वायरल वीडियो में नकली पांडा को अपने पिंजरे से चिड़ियाघर में आने वाले लोगों को उत्सुकता से देखते हुए देखा जा सकता है। इन नकली पांडा को बीते 1 मई से रोजाना सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे के बीच प्रदर्शन के लिए रखा जाता था। आगंतुक यह जानकर हैरान रह गए कि पांडा के बाड़े में रहने वाले जानवर कुत्ते थे, जिससे चिड़ियाघर के खिलाफ आक्रोश फैल गया और पशु क्रूरता के आरोप लगाए गए।
आलोचना के बीच चिड़ियाघर ने किया अपना बचाव
चिड़ियाघर के प्रवक्ता ने कहा कि उनका कुत्तों को पांडा की तरह रंगने का फैसला उचित था क्योंकि चिड़ियाघर में पांडा की कमी थी, इसलिए उन्होंने यह विकल्प चुना। उन्होंने आगे कहा कि कुत्ते के फर मानव बाल के समान होते हैं और उन्हें बिना कोई नुकसान पहुंचाए सुरक्षित रूप से रंगा जाता है। चिड़ियाघर के एक कार्यकर्ता के अनुसार, कुत्तों को पांडा जैसा बनाने का उद्देश्य आगंतुकों की संख्या बढ़ाना और चिड़ियाघर के अनुभव को आनंदमय बनाना था।
चीन से पहले भी सामने आए ऐसे मामले
चिड़ियाघर के मुताबिक, वे असली पांडा को रखने और उसकी देखभाल करने में सक्षम नहीं है, लेकिन छुट्टियों में आगंतुकों का ध्यान खींचने के लिए कुत्तों को रंगना सही समझा गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि कई साल पहले चीन की पालतू जानवरों की दुकानों में पिल्लों को पांडा जैसे कपड़े पहनाकर बेचा जा रहा था। इसके अतिरिक्त मध्य चीन के एक चिड़ियाघर में एक कुत्ते को शेर के रूप में प्रस्तुत करने किया गया था।
सिंगापुर से भी सामने आ चुकी है ऐसी ही घटना
साल 2016 में सिंगापुर के कृषि-खाद्य और पशु चिकित्सा प्राधिकरण (AVA) के पास खबर आई थी कि देश में कोई व्यक्ति 3 कुत्तों को पांडा जैसा बनाकर प्रस्तुत कर रहा है। मालिक ने अपने कार्यों में क्रूरता के दावों को नकारते हुए इस बात के सबूत देने शुरू कर दिए कि कुत्तों पर किसी भी तरह के रसायन युक्त रंगों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके बाद AVA ने अपनी तरफ से भी जांच की थी।