ऑस्ट्रेलिया: महिला ने 28 दिनों तक बर्फ पर दौड़कर बनाया विश्व रिकॉर्ड
जहां कई लोगों के लिए बर्फ पर चलना तक मुश्किल होता है, वहीं ऑस्ट्रेलिया की एक महिला ने बर्फ पर 28 दिनों तक दौड़कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया है। मेलबर्न की डोना उर्कहार्ट नामक एथलीट ने कुल 1,402.21 किलोमीटर (871.29 मील) बर्फ पर अब तक की सबसे लंबी पैदल ध्रुवीय अल्ट्रामैराथन पूरी करके गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया है। 15 दिसंबर, 2023 और 14 जनवरी, 2024 के बीच डोना ने यह शानदार उपलब्धि हासिल की।
रिकॉर्ड बनाने के लिए डोना ने की काफी मेहनत
गिनीज बुक की रिपोर्ट के मुताबिक, डोना ने साल 2021 में कोरोना वायरस महामारी के दौरान एक ध्रुवीय रिकॉर्ड बनाने पर विचार किया, लेकिन इसके लिए उन्हें प्रेरणा तब मिली जब उन्होंने एक ऑस्ट्रेलियाई ध्रुवीय खोजकर्ता एरिक फिलिप्स के बारे में जाना। इसके बाद डोना ने दुनिया के सबसे ठंडे रेगिस्तान पर दौड़ने के लिए अपनी 'रन अंटार्कटिका' टीम की मदद से प्रशिक्षण शुरू कर दिया। इसके लिए वह 3-4 घंटों के लिए -10 डिग्री में ट्रेडमिल पर दौड़ती थीं।
प्रशिक्षण के दौरान डोना को उठानी पड़ी कई समस्याएं
कई महीनों के प्रशिक्षण के दौरान डोना को सूजन जैसी समस्याओं का करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे उनके शरीर ने अंटार्कटिका की कठिनाइयों को अपनाना शुरू कर दिया। डोना का कहना है कि जब वह अंटार्कटिका में दौड़ रही थीं तो उन्हें अपने आस-पास की हर चीज से बहुत प्रेरणा महसूस हुई। इसके बाद डोना ने कुल 28 दिनों तक बर्फ से घिरी जगह पर दौड़कर आधिकारिक तौर पर ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिला बन गई।
यह रिकॉर्ड बनाकर बहुत खुश हैं डोना
रिकॉर्ड के सर्टिफिकेट से सम्मानित होने के बाद डोना ने कहा, "गिनीज विश्व रिकॉर्ड परिवार में शामिल होना एक बड़ा सम्मान है। मैंने एक बच्चे के रूप में गिनीज बुक पढ़ी थी और उन एथलीटों से प्रेरित हुई थी, जिन्होंने रिकॉर्ड बनाए थे।" उन्होंने कहा कि यह रिकॉर्ड उनके लिए बहुत खास है क्योंकि यह लोगों को अपनी क्षमता तलाशने में मदद करता है। यह एक तरह से प्रेरणादायक है।
महिलाओं और लड़कियों को खेल के प्रति जागरूक करना था डोना का उद्देश्य
डोना ने कहा कि उन्होंने अनुभव किया है कि खेल लोगों के जीवन में क्या बदलाव ला सकता है, लेकिन 50 प्रतिशत लड़कियां किशोरावस्था के दौरान खेल खेलना बंद कर देती हैं। उन्होंने कहा कि अपने उदाहरण से वह उन सभी लड़कियों और महिलाओं को जागरूक कर सकती हैं, जो खेल की दुनिया में प्रवेश करने से झिझकती हैं। उन्हें बस खुद पर विश्वास होना चाहिए कि वह अपना लक्ष्य पूरा कर सकती हैं।