अमेरिका: उड़ नहीं पाया तो पेंटिंग सीख गया यह पक्षी, अब दूसरों को देता है कक्षाएं
अमेरिका के क्वेची से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां केस्ट्रेल प्रजाति के एक पक्षी की हड्डी टूट गई थी, जिसके कारण उसने उड़ने की अपनी क्षमता खो दी। इसके बाद अब वह पक्षी एक कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गया है। जी हां, अब यह पक्षी ऐसे लोगों को पेंटिंग की कक्षाएं देता है, जो पक्षियों के बारे में सीखने में रुचि रखते हैं। आइये इस पक्षी की कहानी जानते हैं।
क्या है मामला?
फेरिसबर्ग नामक यह पक्षी पहले फेरिसबर्ग में एक संग्रहालय में रहता था, लेकिन एक बार उसकी हड्डी टूट गई। जानकारी के मुताबिक, फेरिसबर्ग के हड्डी टूटने की वजह स्वस्थ आहार की कमी के कारण होने वाली बीमारी बताई गई है। इसके बाद सम्मान के रूप में पक्षी का नाम फेरिसबर्ग शहर के नाम पर रखा गया, जहां से उसे बचाया गया था। हड्डी टूटने के बाद फेरिसबर्ग वर्मोंट इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल साइंस (VINS) में रहने लगा।
कैसे आया पक्षी को पेंटिंग सीखाने का विचार?
VINS में पर्यावरण शिक्षक माल मुराटोरी और लेक्सी स्मिथ के साथ फेरिसबर्ग ने अपने पंजों से पेंटिंग बनाना सीखा। इतना ही नहीं, VINS में आने वाले पक्षियों के बारे में रुचि रखने वाले लोगों के लिए फेरिसबर्ग की पेंटिंग की कक्षाएं भी आयोजित की जाती है। स्मिथ के मुताबिक, उन्होंने टेनेसी में अमेरिकन ईगल फाउंडेशन में अपने एक दोस्त को पक्षियों के साथ पेंटिंग करते हुए देखा था, जिसके बाद उन्हें भी फेरिसबर्ग को पेंटिंग सिखाने का विचार आया था।
पक्षियों को करवाई जाती है इतनी गतिविधियां
VINS में पक्षियों को स्वस्थ बनाए रखने और उन्हें ऊबने से बचाने के लिए रोजाना व्यायाम करने और अन्य गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे पक्षी दिनभर सक्रिय रहते हैं और मानसिक रूप से स्वस्थ और मजबूत भी होते हैं। अब भले ही फेरिसबर्ग उड़ नहीं सकता है, लेकिन वह सुंदर पेंटिंग बनाने, खेलने-कूदने और व्यायाम करने में सक्षम है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
अमेरिकन केस्ट्रेल को स्पैरो हॉक भी कहा जाता है। यह उत्तरी अमेरिका में सबसे छोटा और आम बाज है। इस पक्षी की प्रजाति और लिंग के हिसाब से इसका आकार भी अलग-अलग होता है। ये पक्षी पेड़ों, चट्टानों और इमारतों जैसी जगहों में अपना घोंसले बनाते हैं। इसके अलावा इन पक्षियों के आहार में टिड्डे, छिपकलियां, चूहे, गौरैया जैसे छोटे पक्षी और अन्य कीड़े शामिल होते हैं।