कर्नाटक: 88 साल की महिला ने प्रतियोगिता में जीते 20 पुरस्कार, कहा- उम्र कोई बाधा नहीं
क्या है खबर?
कर्नाटक के हावेरी की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल बनकर उभर रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 88 वर्षीय सिद्दामती नेलाविगी नामक महिला ने हाल ही में बेंगलुरू में वरिष्ठ नागरिकों की एक प्रतियोगिता में खेल, लोक गायन और भाषण सहित 16 श्रेणियों में पुरस्कार जीते हैं।
उम्र के इस पड़ाव में आकर भी सिद्दामती ने अपनी फिटनेस और ऊर्जा को बरकरार रखा है, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है।
मामला
क्या है मामला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिद्दामती ने वरिष्ठ नागरिकों की प्रतियोगिता में खेल, लोक गायन, भाषण, कहानी बोलने और चित्रकारी सहित कई श्रेणियों में भाग लिया था।
इस प्रतियोगिता में कुल 145 प्रतियोगी शामिल थे, जिसमें सिद्दामती ने 16 स्वर्ण, 3 रजत और 1 कांस्य पदक जीते हैं।
उनका जीवन जीने के प्रति उत्साह और फिट रहने की इच्छा यह बताती है कि किसी भी काम को करने के लिए उम्र कभी बाधा नहीं बन सकती है।
जानकारी
इस उम्र में भी रोजाना 1 घंटा पैदल चलती हैं सिद्दामती
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्दामती बताती हैं कि वह पिछले कई सालों से इस प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं।
वह कहती हैं, "मैं हर दिन कम-से-कम 1 घंटा तक पैदल चलती हूं और फिट रहने की कोशिश करती हूं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि इसी कारण ही मुझे प्रतियोगिता में जीतने में मदद मिलती है। मैं खेलने के साथ-साथ गायन, वक्ता और चित्रकारी में भी गहरी रुचि रखती हूं।"
बयान
उम्र कोई बाधा नहीं है- सिद्दामती
सिद्दामती ने अपनी उम्र के बारे में बात करते हुए कहा, "यह कोई बाधा है। किसी भी चीज के लिए व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए और खुद को प्रेरित करना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "महामारी के कारण यह प्रतियोगिता 3 साल तक नहीं हुई थी। इससे मैं थोड़ा परेशान भी थी, लेकिन मैं घर पर अकेले ही अभ्यास करती थी। मैं जिंदगी से कभी उबती नहीं हूं क्योंकि मेरे पास व्यस्त रहने के कई तरीके हैं।"
अन्य मामला
इस बुजुर्ग महिला ने भी कायम की अनोखी मिसाल
इससे पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली 92 वर्षीय सलीमा खान नामक बुजुर्ग महिला की कहानी सामने आई थी।
सलीमा ने उम्र के अंतिम पड़ाव में आकर शिक्षा प्राप्त करने का अपना सपना पूरा किया है।
वह अपने जीवन में कभी-भी स्कूल नहीं गईं थी, लेकिन 92 साल की उम्र में पहली बार स्कूल जानकर उन्होंने पढ़ना-लिखना सीखा।
अब वह अपना नाम लिख सकती है और पैसों की गिनती भी कर सकती हैं।