विश्व चैंपियन कार्लसन को हराने वाले 16 वर्षीय ग्रैंडमास्टर गुकेश कौन हैं?
क्या है खबर?
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने रविवार को एमचेस रैपिड ऑनलाइन टूर्नामेंट में पांच बार के विश्व शतरंज चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हरा दिया।
इसके साथ ही 16 वर्षीय ने गुकेश ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। वह विश्व चैंपियन कार्लसन को हराने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए हैं।
गुकेश ने सफेद मोहरों से खेलते हुए यह जीत हासिल की है।
आइए इस खबर पर एक नजर डालते हैं।
रिकॉर्ड
गुकेश ने प्रागननंदा का रिकॉर्ड तोड़ा
गुकेश ने 16 साल, चार महीने और 20 दिन की उम्र में नॉर्वे के दिग्गज कार्लसन को शिकस्त दी और सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल की।
उन्होंने ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रागननंदा का रिकॉर्ड तोड़ा, जिन्होंने 16 साल, छह महीने और 10 दिन की उम्र में कार्लसन को हराया था।
बता दें प्रागननंदा ने इस साल की शुरुआत में फरवरी में एयरथिंग्स मास्टर्स में कार्लसन को 39 चालों में हराया था।
बयान
कार्लसन को हराकर क्या बोले गुकेश?
कार्लसन जैसे दिग्गज ग्रैंड मास्टर को हराने के बावजूद गुकेश खुद से बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं थे।
इस बारे में उन्होंने चेस 24 डॉट कॉम से कहा, "जाहिर है, मैग्नस कार्लसन को हराना हमेशा खास होता है लेकिन मुझे वास्तव में अपने उस खेल पर बहुत गर्व नहीं था।"
इस बीच वह अगले दौर में 42 चालों में पोलिश ग्रैंड मास्टर जान क्रिजीस्तोफ डूडा से हार गए थे।
बयान
गुकेश से प्रभावित हुए कार्लसन
दूसरी तरफ कार्लसन ने शिकस्त के बाद गुकेश की तारीफ की है। उन्होंने मुकाबले के बाद कहा, "प्रागननंदा एकमात्र ऐसे भारतीय ग्रैंडमास्टर हैं, जिनसे मैं कई बार हार चुका हूं। अर्जुन और गुकेश को मैंने आम तौर पर हराया है। मुझे लगता है कि गुकेश हाल ही में क्लासिकल चेस में बेहद प्रभावशाली रहे हैं। शायद यह उनकी जीत सबसे गौरवपूर्ण नहीं हो, लेकिन जीत हासिल करना हमेशा अच्छा होता है।"
परिचय
कौन हैं मैग्नस कार्लसन?
पांच बार के विश्व शतरंज चैंपियन कार्लसन को विश्व चैम्पियनशिप, ब्लिट्ज चैम्पियनशिप और रैपिड शतरंज चैंपियनशिप को हासिल करने का गौरव प्राप्त है।
उन्होंने साल 2013 में भारतीय ग्रैंडमास्टर आनंद को हराकर विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती थी।
कार्लसन ने साल 2014 में रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीती थी और अगले ही साल इसका सफलतापूर्वक बचाव भी किया था।
इसके अलावा उन्होंने 2014 में ब्लिट्ज चैंपियनशिप भी अपने नाम की थी।
जानकारी
माता-पिता के साथ की थी गुकेश ने शुरुआत
गुकेश के माता-पिता दोनों ही डॉक्टर हैं और उनके साथ ही घर में उन्होंने शतरंज खेलना शुरु किया था।
उनकी दिलचस्पी को देखते हुए उनके पिता ने सात साल की उम्र में उन्हें समर कैंप भेजा जहां एमएस भास्कर उनके कोच थे।
भास्कर के अलावा विष्णु प्रसन्ना और कुछ अन्य लोगों द्वारा मार्गदर्शित किए जाने वाले गुकेश ने धीरे-धीरे अपना नाम बना लिया था।
2018 में बैंकाक ओपन में उन्होंने अपना पहला ग्रैंड मास्टर सम्मान जीता था।
ग्रैंडमास्टर
भारत के 59वें ग्रैंडमास्टर बने थे गुकेश
2018 में अपना पहला सम्मान हासिल करने के बाद गुकेश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अपना तीसरा और फाइनल ग्रैंडमास्टर का तमगा दिल्ली में 2019 में आयोजित हुई 17वीं इंटरनेशनल ओपन चेस टूर्नामेंट में हासिल किया था।
उन्होंने नौवे राउंड में अपने विपक्षी डीके शर्मा को मात दी थी और भारत के 59वें ग्रैंड मास्टर बने थे।
गुकेश अमेरिका के पूर्व ग्रैंडमास्टर बॉबी फिश्चर और भारत के विश्वनाथन आनंद को अपना आदर्श मानते हैं।