जब भारत से डरकर इंग्लैंड ने ओलंपिक में नहीं उतारी अपनी हॉकी टीम, जानिए रोचक किस्सा
क्या है खबर?
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम टीम में सभी को पदक की उम्मीद है। इसका कारण है कि ओलंपिक खेलो में भारतीय हॉकी का इतिहास बेहद शानदार रहा है।
भारत ने अपने पहले ही ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस ओलंपिक में इंग्लैंड ने भारत से डरकर अपनी हॉकी टीम को वापस बुला लिया था।
आइए जानते हैं क्या था वह रोचक किस्सा और भारत ने कैसे जीता था स्वर्ण पदक।
इतिहास
ओलंपिक में कैसा रहा है हॉकी का इतिहास?
फील्ड हॉकी को पहली बार 1908 के मॉस्को ओलंपिक में शामिल किया था, लेकिन 1912 के स्टॉकहोम ओलंपिक में बाहर कर दिया गया था।
हालांकि, इसके 8 साल बाद यानी 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में इसे फिर शामिल कर लिया गया।
1908 और 1920 के ओलंपिक में हॉकी का स्वर्ण पदक इंग्लैंड ने अपने नाम किया था।
इन दोनों ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने हिस्सा नहीं लिया था क्योंकि उस समय भारत का कोई राष्ट्रीय हॉकी महासंघ नहीं था।
भागीदारी
भारत ने 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में पहली बार लिया था हॉकी में हिस्सा
साल 1925 में भारतीय हॉकी महासंघ (IFH) की स्थापना हुई। उसके बाद 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने पहली बार हिस्सा लिया।
उसके लिए भारत की 16 सदस्यीय टीम चुनी गई थी। उसमें 9 खिलाड़ी एंग्लो इंडियन और 7 भारतीय थे, इनमें मेजर ध्यानचंद भी थे।
इस टीम से किसी को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी। हालत यह थी कि टीम ओलंपिक में जाने से पहले मुंबई के क्लब से अभ्यास मैच हार गई थी।
जानकारी
तीन लोगों को किया था भारतीय हॉकी टीम को विदा
भारतीय हॉकी टीम को ओलंपिक के लिए रवाना रवाना करने को भी केवल 3 लोग जहाज तक गए थे। ये 3 लोग और कोई नहीं, बल्कि भारतीय हॉकी महासंघ के ही सदस्य थे। यहीं से खिलाड़ियों में कुछ कर गुजरने का जज्बा जगा था।
सदमा
भारत से डरकर इंग्लैंड अपनी टीम उतारने से पीछे हटा
भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक शुरू होने से 20 दिन पहले ही एम्स्टर्डम पहुंच गई थी। उस दाैरान टीम ने जयपाल सिंह के नेतृत्व में कई अभ्यास मैच भी खेले थे।
उस टीम ने लंदन में फोकस्टोन उत्सव में एक प्रदर्शनी मैच में इंग्लैंड की राष्ट्रीय हॉकी टीम को 4-0 से मात दे दी।
इस हार से इंग्लैंड इतना डर गया कि उसने ओलंपिक में अपनी टीम ही न उतराने का फैसला कर लिया। इसकी काफी चर्चा भी हुई थी।
जानकारी
इंग्लैंड ने क्यों नहीं उतारी थी अपनी हॉकी टीम?
इंग्लैंड ने आधिकारिक तौर पर टीम न उतराने के लिए कोई तर्क या बयान जारी नहीं किया था, लेकिन उस समय की मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि इंग्लैंड को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने गुलाम देश से हारना मंजूर नहीं था।
प्रदर्शन
उस ओलंपिक में कैसा रहा था भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन?
इंग्लैंड के हटने के बाद भारत ने अपने लीग मैचों में ऑस्ट्रिया को 6-0, बेल्जियम को 9-0, डेनमार्क को 5-0 और स्विट्जरलैंड को 6-0 से हराया और नंबर-1 पर रहते हुए फाइनल में जगह बनाई।
फाइनल में भारत ने मेजबान नीदरलैंड को एकतरफा मुकाबले में 3-0 से हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।
भारतीय टीम की इस जीत का पूरे देश में जश्न मनाया गया और टीम की वापसी पर भव्य स्वागत भी किया गया था।
गोल
भारत ने पूरे ओलंपिक में किए थे कुल 29 गोल
उस ओलंपिक को इसलिए भी यादगार माना जाता है कि उसमें भारतीय टीम ने कुल 29 गोल दागे थे और एक भी गोल खाया नहीं था।
बड़ी बात यह थी कि 29 गोल में से 14 तो हॉकी के जादूगर माने जाने वाले मेजर ध्यानचंद ने किए थे।
फाइनल से पहले ध्यानचंद को बुखार आ गया था, लेकिन उन्होंने देश की खातिर बिमारी होने के बाद भी खेलने का निर्णय किया और 2 अहम गोल दागकर टीम को जीत दिलाई।