क्या है DRS का 'डेड बॉल क्लाज' और क्यों इसको लेकर हो रही है बहस?
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डिसीजन रीव्यू सिस्टम (DRS) को लगातार निशाने पर लिया जाता रहा है। भारत और इंग्लैंड के बीच हाल ही में समाप्त हुई टी-20 सीरीज में अंपायर्स कॉल को लेकर काफी हल्ला मचा था। अब इन्हीं दो टीमों के बीच चल रही वनडे सीरीज के दूसरे मैच में एक बार फिर से DRS चर्चा में है। दरअसल, इस बार चर्चा का कारण DRS में शामिल डेड बॉल क्लॉज है। आइए जानें क्या है मामला।
क्या है ताजा मामला?
भारतीय बल्लेबाज ऋषभ पंत को पगबाधा आउट दिया गया था, लेकिन रीव्यू लेने के बाद उन्हें नॉटआउट करार दिया गया था। रीप्ले में साफ दिखा था कि गेंद पंत के बल्ले का मोटा किनारा लेकर बाउंड्री पार गई है। भले ही तीसरे अंपायर ने पंत को नॉटआउट करार दे दिया, लेकिन भारत के खाते में वह चौका नहीं जोड़ा गया। चौके को DRS के डेड बॉल क्लॉज के कारण नहीं जोड़ा गया था।
यह है ICC द्वारा बनाया गया नियम
ICC के नियम के हिसाब से यदि किसी बल्लेबाजी द्वारा रीव्यू लिए जाने के बाद उसे आउट से नॉटआउट करार दिया जाता है तो फिर निर्णय लेते समय ही गेंद को डेड माना जाएगा। इस नियम के मुताबिक, "आउट होने का निर्णय बदले जाने से बल्लेबाजी कर रही टीम को फायदा तो होगा, लेकिन यदि अंपायर ने आउट करार दिया था तो उस गेंद पर बनने वाले रन टीम के खाते में नहीं जोड़े जाएंगे।"
अंपायर के आउट देते ही डेड हो जाती है गेंद
पगबाधा की अपील में अंपायर द्वारा किसी बल्लेबाज को आउट दिए जाते समय ही वह गेंद डेड हो जाती है। पंत के मामले में यही हुआ और उन्हें मैदानी अंपायर ने आउट करार दिया था जिससे कि गेंद को डेड मान लिया गया। अब इसके बाद रीव्यू ने पंत का विकेट तो बचा लिया, लेकिन डेड बॉल क्लॉज ने उन्हें अपने और भारत के खाते में चार रन जोड़ने से रोक दिया।
लगातार बहस का मुद्दा बना हुआ है यह क्लॉज
दूसरे वनडे के बाद से क्रिकेट दिग्गज लगातार इस बारे में बात कर रहे हैं और उनका कहना है कि यदि किसी मैच के अंतिम गेंद पर ऐसा कुछ हो गया तो डेड बॉल क्लॉज किसी टीम के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। तमाम विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यदि तीसरे अंपायर के पास जाकर आउट या नॉटआउट के फैसले को बदला जा सकता है तो फिर डेड बॉल क्यों नहीं खत्म हो सकती।