खेल मंत्रालय ने WFI की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को किया निलंबित, जानिए क्या रहा कारण
केंद्रीय खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को निलंबित कर दिया है। अब संजय सिंह अध्यक्ष नहीं रहेंगे और फिलहाल संघ के सभी फैसलों पर भी रोक लगा दी है। दरअसल, नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय ने चुनाव जीतने के बाद इसी साल उत्तर प्रदेश के गोंडा स्थिति नंदिनी नगर में अंडर-15 और अंडर-20 की राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं कराने की घोषणा की थी। उसके बाद मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। आइए पूरी खबर पर नजर डालते हैं।
21 दिसंबर को ही अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे संजय सिंह
गत 21 दिसंबर को अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में संजय सिंह ने 47 में से 40 वोट लेकर जीत हासिल कर ली थी। उन्होंने अनीता श्योराण को 33 वोटों से हराया था। प्रेमचंद लोचब ने महासचिव पद के लिए दर्शन लाल को 27-19 से हराया था। वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेन्द्र कार्तियान चुने गए, जबकि उपाध्यक्ष के रूप में जय प्रकाश, करतार सिंह, असित कुमार साहा और फोनी चुने गए थे। महिला पहलवानों ने नए अध्यक्ष का विरोध जताया था।
कौन हैं संजय सिंह?
संजय सिंह पूर्व अध्यक्ष और महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं। वह उत्तर प्रदेश के कुश्ती संघ और राष्ट्रीय कुश्ती संघ दोनों में पदाधिकारी रहे हैं। इसके अलावा वह 2019 में WFI की कार्यकारी समिति में संयुक्त सचिव भी चुने गए थे। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले हैं। ऐसे में उनके चुनाव जीतने से बृजभूषण का दबदबा बरकरार माना जा रहा है।
खेल मंत्रालय को क्यों करनी पड़ी कार्रवाई?
अध्यक्ष बनने के बाद संजय सिंह ने गत शनिवार को इसी साल उत्तर प्रदेश के गोंडा स्थिति नंदिनी नगर में अंडर-15 और अंडर-20 की राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं कराने की घोषणा कर दी। इससे महिला पहलवानों में खलबली मच गई। इसका कारण था कि गोंडा यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण का इलाका है। ऐसे में महिला पहलवानों की चिंता पर सख्ती दिखाते हुए खेल मंत्रालय ने पूरी कार्यकारिणी को ही निलंबित कर दिया और उसके सभी आदेशों पर रोक लगा दी।
साक्षी ने भी प्रतियोगिताओं के आयोजन स्थल पर उठाए सवाल
इस मामले में साक्षी ने एक्स पर लिखा, 'मैंने कुश्ती छोड़ दी है पर कल रात से परेशान हूं। जूनियर महिला पहलवान फोन करके बता रही हैं कि 28 दिसंबर से जूनियर नेशनल होने हैं और WFI ने उसे नंदनी नगर में करवाने का फैसला लिया है। गोंडा बृजभूषण का इलाक़ा है।' उन्होंने आगे लिखा, 'अब आप सोचिए कि जूनियर महिला पहलवान किस माहौल में कुश्ती लड़ने जाएंगी। क्या इस देश में नेशनल करवाने की जगह नहीं है क्या?'
पहलवानों ने जताया था संजय सिंह के निर्वाचन का विरोध
संजय सिंह के अध्यक्ष चुने जाने के बाद पहलवानों ने उनके बृजभूषण का करीबी होने के कारण उनके निर्वाचन का विरोध किया था। ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने तत्काल संन्यास की घोषणा कर दी थी। उन्होंने बयान जारी करते हुए कहा था कि उन्होंने लड़ाई पूरे दिल से लड़ी, लेकिन अध्यक्ष बृजभूषण की तरह ही रहेगा तो वह अपनी कुश्ती को त्याग रही हैं। इसके बाद अन्य पहलवान भी विरोध में आ गए थे।
बजरंग पूनिया ने किया था पद्मश्री लौटाने का ऐलान
मामले में साक्षी के संन्यास की घोषणा करने एक दिन बाद ही पहलवान बजरंग पूनिया ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पत्र लिखकर अपना पद्मश्री पुरस्कार वापस लौटाने का ऐलान किया था। उन्होंने एक्स पर लिखा था, 'मैं अपना पद्म श्री पुरस्कार प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र हैं और यही मेरा आधिकारिक बयान भी है।' उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अपनी और महिला पहलवानों की पीड़ा को जाहिर किया था।
क्या है पूरा मामला?
जनवरी में एक नाबालिग सहित 7 महिला पहलवानों ने तत्कालीन WFI अध्यक्ष बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पहलवानों पहले जनवरी और फिर अप्रैल में लंबा संघर्ष किया था। इस पर सरकार ने भरोसा दिलाया था कि बृजभूषण और उनके करीबी WFI में नहीं रहेंगे। इसके बाद भी हाल ही में हुए अध्यक्ष पद के चुनाव में बृजभूषण के करीबी संजय सिंह को जीत मिली थी। इससे पहलवानों में नाराजगी थी।