रणजी ट्रॉफी में फुल DRS का उपयोग देखना चाहते हैं उनादकट और पुजारा
रणजी ट्रॉफी 2019-20 सीजन में डिसीजन रीव्यू सिस्टम (DRS) का सेमीफाइनल स्टेज के दौरान लिमिटेड इस्तेमाल किया गया था। भले ही इसका इस्तेमाल अंपायरिंग की कमियों को रोकने के लिए किया गया, लेकिन इसके लिमिटेड उपयोग ने विवाद को जन्म देने का काम किया। रणजी ट्रॉफी का खिताब जीतने वाले कप्तान जयदेव उनादकट और उनके साथी खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा ने अब इसका पूरे सीजन उपयोग करने की मांग कर डाली है।
DRS के लिमिटेड उपयोग से होने वाले विवाद
सौराष्ट्र और बंगाल के बीच खेले गए फाइनल मुकाबले में विवाद का जन्म हुआ। पहला मौका तब आया जब बंगाल के विकेटकीपर बल्लेबाज रिद्धिमान साहा को पगबाधा आउट दिया गया, लेकिन DRS लेने के बाद तीसरे अंपायर ने फैसले को बदल दिया। दूसरे मामले में देखा गया कि गेंद स्टंप को हिट कर रही थी, लेकिन मैदानी अंपायर ने खिलाड़ी को नॉट आउट करार दिया था।
उनादकट और पुजारा ने की DRS के फुल इस्तेमाल की मांग
पुजारा ने कहा, "फिलहाल के समय में नो-बॉल ट्रैकिंग और स्निकोमीटर का उपयोग हो रहा है। मैं इनका इस्तेमाल बड़े मैचों और खास तौर से सेमीफाइनल और फाइनल के दौरान होते देखना चाहूंगा।" सौराष्ट्र के कप्तान ने भी भारतीय टेस्ट बल्लेबाज की बातों से सहमति जताई। उनादकट ने कहा, "मैं उनसे सहमत हूं। यह आंशिक DRS है जिसमें आंशिक कमियां हैं तो यदि वे इसका फुल इस्तेमाल करते हैं तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता।"
फुल DRS देखना होगा बेहतर- उनादकट
उनादकट ने कहा, "आपने कल देखा होगा कि कुछ ऐसे निर्णय थे जो कि वास्तव में उचित नहीं थे, लेकिन ऐसे भी मौके आए जिसका दोनों ही टीमों को लाभ मिला।" उन्होंने आगे कहा, "मैं DRS के खिलाफ तो बिल्कुल भी नहीं हूं, लेकिन हमें फुल DRS की जरूरत है। खास तौर से नॉकआउट मुकाबलों में इसका उपयोग किया जाना चाहिए।"
फुल DRS के उपयोग के विचार को लेकर मुखर है BCCI
BCCI के क्रिकेट ऑपरेशन के जनरल मैनेजर सबा करीम ने PTI से कहा कि बोर्ड फुल DRS के उपयोग के विचार को लेकर मुखर है। करीम ने कहा, "सीजन अभी समाप्त हुआ है। हम इस बारे में निश्चित समय पर निर्णय लेंगे। हम इस बारे में सालाना कैप्टेंस एंड कन्क्लेव पर विचार करेंगे और फिर इसके बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा।" इस बात की संभावना है कि अगले सीजन से फुल DRS का इस्तेमाल देखा जा सकता है।