सुनील गावस्कर के हक में हाई कोर्ट का फैसला, नाम-फोटो के गलत इस्तेमाल पर लगाई रोक
क्या है खबर?
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज सुनील गावस्कर की व्यक्तित्व अधिकारों (पर्सनैलिटी राइट्स) की रक्षा के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम निर्णय लिया है। खबरों के मुताबिक, कोर्ट ने मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम), एक्स (पूर्व में ट्विटर), गूगल और कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को आदेश दिया कि वे गावस्कर का नाम, फोटो और शख्सियत का गलत इस्तेमाल करने वाले कंटेंट को हटाएं। आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
मामला
क्या है ये मामला?
आजकल सोशल मीडिया में कई नामी व्यक्तियों के नाम से फर्जी बयान देखने को मिलते हैं। इस दौरान गावस्कर ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स साइट्स पर उनकी इजाजत के बिना फोटो इस्तेमाल हो रहा है। पहले 12 दिसंबर को कोर्ट ने इन प्लेटफॉर्म्स को 7 दिन में कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। अब कुछ कंटेंट अभी भी बाकी था, इसलिए कोर्ट ने इस संदर्भ में कड़े आदेश दिए।
आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या दिए आदेश?
यह आदेश जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की सिंगल जज बेंच ने दिया। कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक सामग्री को संबंधित यूजर्स 72 घंटे के अंदर हटा दे। इस आदेश के बावजूद अगर यूजर्स इसे नहीं हटाते हैं तो प्लेटफॉर्म्स (मेटा, एक्स आदि) खुद कार्रवाई करें और कंटेंट ब्लॉक करें। इसके साथ-साथ गावस्कर की लीगल टीम को उन यूजर्स की जानकारी लेकर उन्हें केस में पार्टी बनाने का निर्देश दिया गया।
खिलाड़ी
ऐसे अधिकार वाले पहले क्रिकेटर बने गावस्कर
हाई कोर्ट के आदेश के साथ ही गावस्कर पहले भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी बने हैं, जिन्होंने गलत जानकारी फैलाने के खिलाफ इस तरह की कानूनी सुरक्षा मांगी है। यह मामला भारत में मशहूर लोगों के व्यक्तित्व अधिकारों की बढ़ते मुकदमों के क्रम में शामिल है। इससे पहले बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर जैसे फिल्मी सितारे ऐसे केस जीत चुके हैं। सोशल मीडिया की दुनिया में AI, डीपफेक और अनधिकृत इस्तेमाल के खिलाफ यह एक महत्वपूर्ण कदम है।