एक साल पहले धोनी ने कहा था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा, ऐसा रहा उनका सफर
विश्व क्रिकेट में कप्तानी की जब भी बात होगी महेन्द्र सिंह धोनी का नाम उसमें जरूर आएगा। कप्तानी के अलावा मैच फिनिशर के रूप में भी धोनी ने शानदार काम किया और खुद को फिनिशर के रूप में स्थापित किया था। धोनी ने 2019 क्रिकेट विश्व कप सेमीफाइनल के बाद भारत के लिए कोई मैच नहीं खेला। उन्होंने एक साल पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा था। आइए जानते हैं कैसा रहा उनका पूरा सफर।
धोनी को टीम में लाए थे गांगुली
स्थाई विकेटकीपर नहीं होने के कारण राहुल द्रविड़ को मजबूरी में कई दफा विकेटकीपिंग करनी पड़ती थी। भले ही टीम मैनेजमेंट ने कई विकेटकीपर्स को आजमाया, लेकिन उनमें से कोई भी सफल साबित नहीं हो सका। 2004 बांग्लादेश दौरे के लिए कप्तान सौरव गांगुली ने लंबे बालों वाले रांची के महेन्द्र सिंह धोनी को टीम में शामिल किया। हालांकि, इंटरनेशनल डेब्यू पर वह खाता खोले बिना ही रनआउट हो गए थे।
लगातार धोनी को बैक कर रहे थे दादा
दादा को धोनी में कुछ स्पेशल दिखा था और यही कारण था कि वह लगातार उन्हें बैक कर रहे थे और फिर पाकिस्तान के खिलाफ धोनी ने दादा को सही साबित किया। धोनी को नंबर तीन पर प्रमोट करने का गांगुली का फैसला सही साबित हुआ और विशाखापट्टनम में 148 रनों की धमाकेदार पारी खेली। कुछ महीनों बाद ही उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 183 रन बनाकर अपना जलवा बिखेरा था।
मार्की विकेटकीपर के रूप में स्थापित हो गए धोनी
अगले दो सालों में धोनी सभी फॉर्मेट में टीम के स्थाई विकेटकीपर के रूप में खेलने लगे। पाकिस्तान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ निरंतरता के साथ प्रदर्शन करके उन्होंने अपनी जगह पक्की कर ली। उस दौर में उन्होंने युवराज सिंह के साथ कई अच्छी साझेदारियां करके खूब सुर्खियां बटोरी। 2007 विश्वकप में खराब प्रदर्शन के बाद उनकी जगह पर सवाल उठने लगे।
धोनी की कप्तानी की शुरुआत
टी-20 विश्वकप के पहले संस्करण में धोनी को कप्तानी करने का मौका मिला और इसके साथ ही उन्होंने अपने आलोचकों को शांत करा दिया। ऐतिहासिक बॉल आउट में नॉन-रेगुलर गेंदबाजों से गेंदबाजी कराने से लेकर फाइनल का आखिरी ओवर जोंगिदर शर्मा से कराने तक धोनी ने टूर्नामेंट में कई अटपटे निर्णय लिए। ऐसे ही निर्णयों के साथ धोनी ने भारत को टी-20 विश्वकप जिताया और उनके दौर की शुरुआत हुई।
धोनी की कप्तानी में भारत ने हासिल की सफलता
अनिल कुंबले के संन्यास लेने ते बाद धोनी को तीनों फॉर्मेट में भारत का कप्तान बना दिया गया। 2007-08 में कप्तान धोनी ने सफलता हासिल करते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज़ जिताई। अगले कुछ सालों में भारतीय टीम ने ICC टेस्ट रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया और कई अच्छे मल्टीनेशनल टूर्नामेंट्स जीते। इस दौर में उनकी खुद की बल्लेबाजी भी काफी अच्छी रही और वह मैच फिनिशर बनने लगे।
धोनी की कप्तानी में भारत ने जीता विश्वकप और चैंपियन्स ट्रॉफी
2011 में धोनी की कप्तानी में भारत ने 28 साल के इंतजार के बाद अपना दूसरा विश्वकप खिताब जीता। लगातार विदेशों में टेस्ट गंवाने और आलोचना झेलने के बावजूद धोनी की टीम ने 2013 चैंपियन्स ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया था। एक साल बाद धोनी ने धीरे से टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया और फिर 2017 में कोहली को तीनों फॉर्मेट की कप्तानी सौंप दी।
धोनी के रिकॉर्ड्स पर एक नजर
धोनी ICC के तीनों खिताब जीतने वाले विश्व के पहले और इकलौते कप्तान हैं। कप्तानी छोड़ने के तीन साल बाद भी वह भारत के सबसे सफल लिमिटेड ओवर्स कप्तान हैं। उन्होंने 110 वनडे और 41 टी-20 जीत हासिल की हैं। यदि उनकी बल्लेबाजी की बात करें तो वह भारत के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले टॉप-5 बल्लेबाजों में से एक हैं। उन्होंने 538 मैचों में 44.96 की औसत के साथ 17,266 रन बनाए हैं।