खिलाड़ियों के देरी से पहुंचने पर धोनी देते थे दिलचस्प सज़ा, जानें
भारतीय टीम के पूर्व मानसिक कोच पैडी अप्टन ने अपनी किताब 'द बेयरफुट कोच' में भारतीय ड्रेसिंग रूम को लेकर कुछ दिलचस्प खुलासे किए हैं। गंभीर को मानसिक रूप से भारतीय टीम का सबसे असुरक्षित खिलाड़ी बताने से लेकर अप्टन ने किताब में धोनी को लेकर भी दिलचस्प राज़ से पर्दा अठाया है। दरअसल, अप्टन ने खुलासा किया है कि धोनी देर से आने वाले खिलाड़ियों को एक दिलचस्प सज़ा देते थे। आइये जानते हैं कि क्या है पूरी खबर।
हमारे पास एक बहुत ही स्वशासित प्रक्रिया थी- अप्टन
पैडी अप्टन जिस वक्त भारतीय टीम के मानसिक कोच थे उस समय अनिल कुंबले भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान थे। जबकि एम एस धोनी वाइट बॉल क्रिकेट में कप्तानी करते थे। अप्टन ने अपनी किताब में बताया कि धोनी ने तय किया था कि अभ्यास सत्र और टीम की बैठकों के लिए सभी खिलाड़ियों का समय पर आना महत्वपूर्ण था। इसके साथ ही यदि कोई देर से आता था तो उसे दंडित करने की अवधारणा थी।
अनिल कुंबले ने दिया था 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने का सुझाव
अप्टन ने आगे खुलासा किया कि टेस्ट टीम के कप्तान अनिल कुंबले ने देर से आने वाले खिलाड़ियों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने का सुझाव दिया था। हालांकि, उस वक्त की वनडे टीम के कप्तान धोनी ने पूरी टीम को जवाबदेह बनाकर टीम के लिए सजा को थोड़ा बढ़ा दिया था। धोनी की सज़ा के मुताबिक यदि कोई खिलाड़ी देरी से आता है तो सिर्फ उस खिलाड़ी को ही नहीं बल्कि पूरी टीम को जुर्माना देना होगा।
"वनडे टीम से किसी को भी कभी देर नहीं हुई"
धोनी ने कहा था, "हां, एक परिणाम होना चाहिए। इसलिए अगर किसी को देर होती है, तो सभी 10,000 जुर्माना अदा करेगा।" अप्टन ने अपनी पुस्तक में बताया कि इस कदम का बहुत प्रभाव पड़ा और फिर वनडे टीम में कोई कभी लेट नहीं हुआ।
कुछ अलग करने के लिए ही जाने जाते हैं एम एस धोनी
पिछले कुछ वर्षों में धोनी ने क्रिकेट को काफी कुछ दिया है। जब उन्होंने अपना ट्रेडमार्क हेलिकॉप्टर शॉट पेश किया, तो उन्हें अपने निडर नज़रिए के लिए प्रशंसित किया गया था। इसके बाद 2007 टी-20 विश्व कप में जोगिंदर शर्मा को अंतिम ओवर देने का फैसला हो, चाहे बांग्लादेश के खिलाफ हार्दिक पंड्या को आखिरी ओवर देने का फैसला। दबाव की स्थितियों में शांत रहने की क्षमता और सटीक फैसले लेना ही धोनी को दूसरों से अलग बनाता है।