टेस्ट क्रिकेट में गेंद क्यों छोड़ते हैं? जानिए इस "कला" से जुड़ी हर जरूरी बात
टेस्ट क्रिकेट में एक बल्लेबाज की असली स्किल और उसकी दृढ़ता का टेस्ट होता है। जहां लिमिटेड ओवर्स की क्रिकेट में बल्लेबाज फ्लो में निकल जाते हैं तो वहीं टेस्ट क्रिकेट में उन्हें संयम के साथ खेलना होता है। इस फॉर्मेट में जब नई गेंद घूम रही होती है तो फिर बल्लेबाजों को और भी ज़्यादा सतर्क होना पड़ता है। आइए जानते हैं क्या है गेंद को छोड़ना और इस कला से जुड़ी हर जरूरी बात।
क्यों जरूरी है गेंद को छोड़ना?
टेस्ट क्रिकेट में तेज गेंदबाज अपनी गेंदों को ऐसी जगह पर टप्पा देते हैं जहां से बल्लेबाज को अनुमान लगाना मुश्किल होता है। इस तरीके से बाहर निकलती गेंदों पर बल्लेबाज के लिए शॉट लगाना काफी मुश्किल हो जाता है। इससे निपटने के लिए बल्लेबाज आखिरी समय तक गेंद को देखते हैं और फिर अंत में इसे विकेटकीपर के पास जाने देते हैं। ऐसा करके बल्लेबाज घूमती गेंदों के खिलाफ अपने खतरे को कम करते हैं।
कैसे लिया जाता है गेंद छोड़ने का निर्णय?
किसी भी बल्लेबाज के लिए सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है कि वे उन गेंदों की पहचान कर लें, जिन्हें वह छोड़ना चाहते हैं। कई बार ऐसा होता है कि छोड़ने के बाद गेंद तेजी के साथ अंदर की ओर आती है। स्विंग और उछाल का अंदाजा लगाना यहां सबसे ज़्यादा जरूरी हो जाता है। स्पिनर्स के खिलाफ फुटवर्क के मामले में बल्लेबाजों को काफी ज़्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है।
गेंदबाज की लय बिगाड़ने के लिए भी अपनाई जाती है यह रणनीति
टेस्ट क्रिकेट जितना गेंद-बल्ले से खेला जाता है उससे कहीं ज़्यादा इसमें दिमागी लड़ाई होती है। गेंद छोड़ने का मतलब हर बार यही नहीं होता है कि बल्लेबाज शॉट लगाने से घबरा रहा है बल्कि कई बार वे गेंदबाज को अपनी लाइन स्टंप के सामने लाने के लिए भी गेंदों को छोड़ते हैं। कई बार परेशान होकर गेंदबाज लाइन में तब्दीली भी लाते हैं और बल्लेबाज इसका फायदा उठा लेते हैं।
क्या मदद देती है काउंटर अटैकिंग बल्लेबाजी?
टी-20 क्रिकेट के लगातार प्रसार होने की स्थिति में अब डिफेंसिव बल्लेबाजी की कला का महत्व कम होता जा रहा है और बल्लेबाज अब काउंटर अटैकिंग बल्लेबाजी को ज़्यादा महत्व दे रहे हैं। आज के समय में बल्लेबाजों को बैलेंस लाना चाहिए और डिफेंसिव बल्लेबाजी को भी महत्व देना चाहिए। कमजोर गेंदों को बाउंड्री पार पहुंचाने के साथ डिफेंसिव बल्लेबाजी को लगातार जारी रखा जा सकता है।
अलग-अलग परिस्थितियों में गेंद को छोड़ना
इंग्लैंड और न्यूजीलैंड जैसे देश जहां स्विंग को मदद मिलती है वहां पर गेंद को छोड़ना उचित हो जाता है। 2014 में विराट कोहली के लिए बेहद खराब रहने वाला इंग्लैंड दौरा जहां जेम्स एंडरसन ने उन्हें काफी परेशान किया था इसका बेहतरीन उदाहरण है। दक्षिण अफ्रीका भी ऐसी जगह है जहां बल्लेबाजों की परीक्षा होती है और यहां सीम मूवमेंट का अंदाजा लगा पाना सबसे कठिन चुनौती होती है।
गेंद छोड़ने की कला में माहिर भारतीय बल्लेबाज
ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों को लगातार थका देने वाला राहुल द्रविड़ का आश्चर्यजनक अवलोकन अदभुत है। हॉफ वॉली को कोई भी बल्लेबाज ड्राइव कर सकता है, लेकिन बेहद कम ही लोग उनके लचीलेपन की बराबरी कर पाए हैं। चेतेश्वर पुजारा ने द्रविड़ की इस कला को बेहतरीन तरीके से अपनाया है औऱ उनकी विधा को आगे बढ़ा रहे हैं। पूर्व भारतीय बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ गेंद छोड़ने वाले सबसे महान बल्लेबाजों में से एक थे।