टी-20 विश्व कप: भारतीय टीम की असफलता के क्या मुख्य कारण रहे?
विश्व क्रिकेट की सबसे मजबूत टीमों में से एक भारत के टी-20 विश्व कप अभियान का अंत बेहद ही दुखद तरीके से हुआ। पहले संस्करण (2007) के बाद से चला आ रहा खिताबी सूखा इस बार भी बरकरार रहा। खिताबी मुकाबले से एक कदम की दूरी पर टीम और देशवासियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। सेमीफाइनल मुकाबले में भारत को इंग्लैंड के हाथों करारी हार मिली। आइए गौर फरमाते हैं कि टूर्नामेंट में इस असफलता के क्या कारण रहे।
पावरप्ले में ही पिछड़ी भारतीय टीम
सीमित ओवर, खासकर टी-20 क्रिकेट में सफलता के लिए तेज शुरुआत अहम होती है, लेकिन भारतीय टीम ने हर मैच में पावरप्ले के दौरान कम से कम एक या दो विकेट खोए और रन गति भी तेज नहीं हो पाई। टी-20 विश्व कप 2021 के बाद से इस विश्व कप तक खेले मैचों में टीम ने पॉवरप्ले में औसतन 8.6 की रन रेट से रन बनाए थे, लेकिन इस विश्व कप में यह आंकड़ा केवल 6 रन प्रति ओवर रहा।
भारत को नहीं मिला सलामी जोड़ी का साथ
कप्तान रोहित शर्मा और केएल राहुल टीम को बेहतर शुरुआत देने में नाकाम रहे। रोहित ने छह मैचों (27, 15, 2, 15, 53, 4) में 19.33 की साधारण औसत से सिर्फ 116 रन बनाए। वहीं राहुल ने 21.33 की औसत से 128 रन (5, 51, 50, 9, 9, 4) बनाए। पहले विकेट के लिए टूर्नामेंट में सबसे बड़ी साझेदारी (केवल 27 रन) पाकिस्तान के खिलाफ आई। शेष पांच मैचों में 23, 11, 11, 9 और 7 रनों की साझेदारी हुई।
सबसे बड़े मंच पर गति से भी पिछड़ा भारत
विश्व कप शुरू होने से पहले भारत को तब तगड़ा झटका लगा, जब तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को चोट के चलते टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा। ये हैरानी और निराशा की बात है कि टीम को एक भी बुमराह जैसी गति वाला गेंदबाज नहीं मिला। पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड जैसी टीमों के पास 140-150 तक की गति से गेंदबाजी करने वाले दो या उससे अधिक गेंदबाज थे, लेकिन भारत के पास एक भी नहीं।
उम्रदराज खिलाड़ियों पर अधिक निर्भरता
टी-20 क्रिकेट में अब खिलाड़ियों की बढ़ती उम्र और उन पर निर्भरता टीम के लिए सिरदर्द बनती दिखाई दे रही है। कप्तान रोहित 35 के हो चुके हैं और कोहली 34 के, वहीं दिनेश कार्तिक तो 37 साल के हैं। मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार दोनों ही 32-32 साल के हैं। इसलिए ही पूर्व दिग्गज भारतीय खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने मैच के बाद कहा भी कि इस हार के बाद कुछ भारतीय खिलाड़ी टी-20 से संन्यास ले सकते हैं।
रिस्ट स्पिनर को नहीं खिलाना साबित हुई बड़ी भूल
भारत ने टी-20 विश्व कप में कुल 6 मैच खेले। इनमें से किसी भी मैच में रिस्ट स्पिनर युजवेंद्र चहल को नहीं खिलाया गया। रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल को टूर्नामेंट में खेलने के मौके मिले, लेकिन वे अपना असर छोड़ने में नाकाम साबित हुए। रिस्ट स्पिनर्स इस विश्व कप में कई बार निर्णायक भूमिका में दिखाई दिए, लेकिन भारत ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और चहल से केवल 'चहल TV' ही करवाते रह गए।
टीम सिलेक्शन में नहीं लिए गए "रिस्क"
बांग्लादेश के खिलाफ भारत ने मैच तो जीता, लेकिन पॉवरप्ले में गेंदबाजों की खूब पिटाई हुई और 60 रन खर्च दिए। बावजूद इसके कोई "रिस्क" नहीं लिया गया और अगले मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ उन्हीं तेज गेंदबाजों को खिलाया। शमी से पहले विश्व कप टीम में चुने गए हर्षल पटेल बैंच पर बैठे रह गए। बल्लेबाजी में भी टॉप-3 में कोई बदलाव नहीं हुआ। तीन नंबर पर खेलकर शतक लगाने वाले दीपक हूडा का भी इस्तेमाल नहीं हो सका।