भारतीय क्रिकेट टीम वनडे विश्व कप 2011 अभियान से सीख सकती है यह अहम बातें
क्या है खबर?
भारत के प्रत्येक क्रिकेट फैन के मन में 2 अप्रैल, 2011 की तारीख एक खास याद के रूप में अंकित है।
उस दिन भारतीय क्रिकेट टीम ने फैंस से खचाखच भरे वानखेड़े स्टेडियम पर श्रीलंका को हराकर विश्व कप ट्रॉफी पर कब्जा जमाया था।
भारत ने 28 साल के लंबे अंतराल के बाद दूसरी बार वनडे विश्व कप जीता था। वनडे विश्व कप जीत में कई अहम कारण थे जिनसे वर्तमान भारतीय टीम अहम सीख ले सकती है।
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भारत के पास था मजबूत शीर्ष क्रम
वनडे विश्व कप 2011 में भारत के पास एक मजबूत शीर्ष क्रम था।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने पूरे टूर्नामेंट में भारत को ठोस शुरुआत दी।
तेंदुलकर ने 53.55 की औसत से बल्लेबाजी की और 2 शतक भी जमाए। इसी तरह सहवाग भी अपने चिर-परिचित अंदाज में गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते नजर आए।
तीसरे नंबर पर गौतम गंभीर भारत के लिए शानदार क्रिकेट खेली। फाइनल मुकाबले में उनकी 97 रन की पारी खास रही।
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भारतीय दल में थी ऑलराउंडर्स की भरमार
2011 विश्व कप में भारत के पास ऐसे योग्य खिलाड़ी थे जो बल्लेबाजी के अलावा गेंदबाजी करने में भी सक्षम थे।
सहवाग, तेंदुलकर, सुरेश रैना और युवराज सिंह ऐसे ही खिलाड़ी थे जिन्होंने अपनी स्पिन गेंदबाजी से भारत को अहम सफलताएं दिलाई।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने स्पिन अनुकूल परिस्थितियों में अपने गेंदबाजों का शानदार इस्तेमाल किया।
युवराज तो टूर्नामेंट के सबसे बड़े स्टार साबित हुए। इन बाएं हाथ के स्पिनर ने 25.13 की औसत से 15 विकेट लिए थे।
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जहीर खान की स्विंग से परेशान हुए बल्लेबाज
भारत के पास जहीर खान के रूप में बाएं हाथ का मुख्य तेज गेंदबाज था।
जहीर ने उस टूर्नामेंट में नई गेंद के साथ कमाल का करतब दिखाते हुए बल्लेबाजों को काफी परेशान कया था।
वह विश्व कप 2011 में पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी के साथ संयुक्त रूप से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे।
जहीर ने 18.76 की औसत से 21 विकेट लिए थे। विशेष रूप से जहीर ने इनमें से 5 विकेट पहले 10 ओवर में लिए थे।
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धोनी का करिश्माई नेतृत्व
बांग्लादेश को हराने से लेकर टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीका के अपनी एकमात्र हार तक भारत ने विश्व कप कई उतार-चढ़ाव देखे।
हालांकि, कप्तान धोनी ने अधिकांश परिस्थितियों का डटकर सामना किया। भारत के खिलाफ दूसरे मैच में इंग्लैंड 339 रनों का पीछा करते हुए 281/3 पर खेल रहा था।
धोनी ने जहीर को वापस बुलाया और उन्होंने एंड्रयू स्ट्रॉस (158) और इयान बेल (69) को आउट कर भारत को अहम सफलता दिलाई। आखिरकार मैच टाई पर खत्म हुआ।