पूर्व ऑस्ट्रेलिया कप्तान इयान चैपल की मांग, DRS में होना चाहिए बदलाव
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल का कहना है कि डिसीजन रीव्यू सिस्टम (DRS) में बदलाव किया जाना चाहिए क्योंकि इससे खिलाड़ियों द्वारा मतभेद को बढ़ावा मिल रहा है। वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज़ में एक पारी में तीन रीव्यू इस्तेमाल करने की छूट मिली है और चैपल की प्रतिक्रिया उसी को देखकर आई है। चैपल का मानना है कि सिस्टम को सुनिश्चित करना होगा कि निर्णय लेने में खिलाड़ी शामिल न हों।
DRS ने बढ़ाई खिलाड़ियों में विरोध- चैपल
ESPNcricinfo के लिए चैपल ने लिखा, "युवा खिलाड़ियों को सिखाया जाता था कि अंपायर का निर्णय सही है और आप उससे बहस नहीं कर सकते। यह चीज अब लागू नहीं होती है क्योंकि DRS आने के बाद से खिलाड़ियों का प्रतिरोध सामने आ रहा है।"
हाल ही में पारी में तीन रीव्यू को मिली है मंजूरी
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के नियमों के मुताबिक अब टीमें टेस्ट की एक पारी में तीन और लिमिटेड ओवर्स में दो रीव्यू का इस्तेमाल कर सकती हैं। कोरोना वायरस के कारण यात्रा और रहने संबंधित परेशानियों से पार पाने के लिए कमेटी ने लोकल अंपायर्स की नियुक्ति को हरी झंडी दी थी। कम अनुभवी अंपायर्स से हो सकने वाली गलती को कवर करने के लिए एक अतिरिक्त रीव्यू दिया गया।
सिस्टम से हो रहा है छेड़छाड़- चैपल
चैपल को लगता है कि DRS से मैदानी अंपायर्स का आत्मविश्वास घट रहा है। उन्होंने लिखा, "पहले टेस्ट में अपने तीन निर्णय बदले जाने के बाद अंपायर रिचर्ड केटलब्रूग के चेहरे का हाव-भाव देखकर आपको पता लग जाएगा कि वह सिस्टम के बारे में क्या सोच रहे हैं।" चैपल ने आगे कहा कि महामारी काल में तीसरे रीव्यू के आने के बाद से सिस्टम के साथ छेड़छाड़ हो रही है।
क्या है DRS और कब हुई इसकी शुरुआत
DRS से मैच ऑफिशियल्स को निर्णय लेने में मदद मिलती है। मैच के दौरान खिलाड़ी अंपायर से यह कह सकते हैं कि उनके निर्णय को थर्ड अंपायर के पास भेजा जाए जिससे कि उसे बदला जा सके। 2008 में पहली बार इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था। शुरुआती दौर में भारत समेत कई देशों ने इसे अपनाने में आनाकानी की थी, लेकिन फिर यह ग्लोबल हो गया।
DRS निर्णय में शामिल होते हैं ये फैक्टर्स
स्लो-मोशन के जरिए अंपायर फ्रंट-फुट नो-बॉल देखते हैं। इंफ्रा-रेड कैमरा के जरिए अंदरुनी किनारे का पता लगाया जाता है। किनारे का पता लगाने के लिए स्निको का भी प्रयोग किया जाता है। अंत में बॉल-ट्रैकिंग या हॉकआई का उपयोग होता है।