#NewsBytesExclusive: नेशनल रिकॉर्ड होल्डर मोहम्मद अनस से उनके सफर के बारे में खास बातचीत
भारत धीरे-धीरे एथलेटिक्स के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। इस तरह का उदय इस खेल में भविष्य बनाने का सपना देखने वाले लोगों के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद दे रहा है। कुछ उभरते हुए एथलीट्स में से एक नेशनल रिकॉर्ड तोड़ने वाले मोहम्मद अनस ने खुद का नाम कमाया है। न्यूजबाइट्स से बात करते हुए अनस ने अपने सफर के साथ ही भारत में एथलेटिक्स के हाल पर भी बात की।
कौन हैं मोहम्मद अनस
मोहम्मद अनस भारतीय धावक हैं जो ज़्यादातर 400 मीटर की रेस में हिस्सा लेते हैं। उन्होंने 2018 में 45.31 सेकेंड का समय निकालकर नेशनल रिकॉर्ड को अपने नाम किया था। 2016 में रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद वे ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाले मिल्खा सिंह और केएम बीनू के बाद तीसरे भारतीय बने थे। 2018 एशियन गेम्स में उन्होंने तीन सिल्वर मेडल जीते थे। अनस ने अपने करियर की शुरुआत लॉन्ग जंपर के रूप में की थी।
2006 में शुरु हुआ था अनस का सफर
अपने सफर के बारे में बात करते हुए अनस ने कहा कि इसकी शुरुआत 2006 में उनके गांव केरल के नीलामेल में हुई थी। भले ही वहां कोई ढंग का ग्राउंड नहीं था, लेकिन उन्हें एक स्कूल टीचर ने ट्रेनिंग दी थी। अनस के टैलेंट को देखते हुए टीचर ने उन्हें कई स्पोर्ट्स स्कूलों का सुझाव दिया। इसके बाद अनस ने उन्हीं में से एक स्कूल चुनकर एथलेटिक्स करियर शुरु किया।
अनस ने बताया कहां से मिलती है लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा
अपने फिटनेस के बारे में बात करते हुए अनस ने कहा, "मैं केवल एक अच्छा स्पोर्ट्सपर्सन बनना चाहता हूं। केवल यही पैशन मुझे हर हाल में फिट और स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करता है।"
देश के पास बढ़िया एथलीट्स, लेकिन अच्छे उपकरणों की जरूरत
एथलेटिक्स में भारत के प्रदर्शन पर बात करते हुए उन्होंने सबसे पहले तो इस बात की चर्चा की कि देश को एथलेटिक्स के लिए बेहतर उपकरणों की सख्त जरूरत है। अनस ने साथ ही यह भी कहा कि गांवों में रहने वाले ज़्यादातर एथलीट्स को नहीं पता होता है कि उन्हें कहां जाना है, कैसे ट्रेनिंग लेनी है और अपना टैलेंट दिखाना है। हालांकि, अनस ने कहा कि भारत के पास एथलीट्स का मजबूत पूल है।
एथलेटिक्स पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है भारत
भारतीय एथलेटिक्स में हो रहे वर्तमान बदलावों के बारे में बात करते हुए अनस ने एथलीट्स पर ज़्यादा फोकस किए जाने की सराहना की है। पिछले समय में भारतीय एथलीट्स को मुश्किल से कोई टूर्नामेंट मिलते थे। हालांकि, भारत में और भारत के बाहर के तमाम तरह के टूर्नामेंट्स के बाद एथलीट्स को तैयारी करने में काफी मदद मिली है। हाल के समय में इन प्रतियोगिताओं ने उनके खेल का स्तर उठाने में भी काफी मदद की है।
प्रेशर हटाने के लिॆए ओलंपिक में बेस्ट प्रदर्शन पर दिया ध्यान- अनस
ओलंपिक में हिस्सा लेना हमेशा लोगों का ध्यान खींचता है और इसके साथ ही काफी ज़्यादा प्रेशर भी जुड़ा होता है। रियो ओलंपिक में शायद अनस पर कुछ मानसिक दबाव था, लेकिन उनका कहना है कि उन्होंने हर चीज को ताक पर रखने के लिए केवल अच्छी परफॉर्मेंस करने पर ध्यान दिया था। अनस ने कहा, "मैंने ओलंपिक में अपने बेस्ट प्रदर्शन को करने की कोशिश की और इसी तरह मैंने प्रेशर का सामना किया।"
अनस ने बताया कितना था बड़े इवेंट्स में प्रेशर
बड़े इवेंट्स के दौरान होने वाले प्रेशर पर अनस ने कहा, "कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स के दौरान प्रेशर था क्योंकि काफी लोगों ने कहा था कि मुझे पोडियम फिनिश करना चाहिए। हालांकि, मेरे कोच ने कहा कि मुझे उन लोगों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।"
कोचों की प्रेरणा ने परफॉर्म करने में की मदद
अपने कोचों के रोल के बारे में बात करते हुए अनस ने कहा कि उनके करियर में उनके कोचों ने उन्हें लगातार प्रेरित किया है। व्यक्तिगत कोच पीबी जयकुमार और मोहम्म्द कन्ही ने लगातार उन्हें उनके प्रदर्शन को लेकर इनपुट दिए हैं और इसके अलावा उनकी इच्छाशक्ति और मजबूती को बढ़ाने का भी काम किया है। ट्रेनिंग सेशन के दौरान वे लगातार अनस को सपोर्ट करते हैं और एकाग्र रहने के लिए उन्हें मानसिक मजबूती भी देते हैं।
पीटी उषा ने लगातार आगे बढ़ने के लिए किया प्रेरित
अनस ने अपने जीवन में पूर्व भारतीय ओलंपिक लेजेंड पीटी उषा के महत्व पर भी बात की। अनस ने कहा कि उषा ने ज़्यादातर भारतीय रेसों में अपनी मौजूदगी जाहिर की है और हर रेस के अंत में लेजेंड एथलीट उनसे मिलती थीं और प्रेरणा के कुछ शब्द बोलती थीं। उषा उनको यह भी बताती थीं कि किस प्रकार वह अपनी परफॉर्मेंस को सुधार सकते हैं और आगे आने वाली रेसों के लिए कैसे खुद को बेहतर कर सकते हैं।