लॉकडाउन की मार ने किया बेबस, BMW कार बेचने पर मजबूर हुईं दुती चंद
स्टार भारतीय धाविका दुती चंद को उनके जुझारूपन के लिए जाना जाता है। चंद ने हमेशा अपने खेल को पहली प्राथमिकता दी है। हालांकि, कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन ने उनकी मुसीबतें काफी ज़्यादा बढ़ा दी हैं। 2018 में उन्होंने तेलंगाना से एक 30 लाख रूपये कीमत की BMW कार खरीदी थी, लेकिन अब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वह इसे बेचने पर मजबूर हैं।
कार बेचना ही एकमात्र उपाय- चंद
टाइम्स नाउ के साथ बातचीत के दौरान चंद ने कहा कि स्पॉन्सरशिप की कमी और किसी प्रतियोगिता के नहीं होने के कारण उनके पास पैसे हासिल करने का एकमात्र रास्ता कार बेचना ही है। उन्होंने कहा, "महामारी के कारण सारी प्रतियोगिताएं रद्द हैं। ओलंपिक के लिए स्पॉन्सरशिप भी नहीं है। मैंने अपने सारे पैसे खर्च कर दिए हैं और पिछले कुछ महीनों में मेरी कमाई नहीं हुई है। "
AFI के अंडर ट्रेनिंग नहीं करती हैं दुती
दुती एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) के नियमों के अनुसार ट्रेनिंग नहीं करती हैं और इसी कारण उन्हें फेडरेशन से कोई मदद भी नहीं मिल रही है। वह राज्य सरकार के संरक्षण और KIIT यूनिवर्सिटी को स्पॉन्सर के तौर पर ट्रेनिंग करती थीं। कोरोना के कारण भले ही ओलंपिक को अगले साल के लिए स्थगित कर दिया गया, लेकिन दुती ने इस साल के हिसाब से ही स्पॉन्सर से मिले पैसे खर्च कर दिए।
पैसे कामाउंगी तो फिर खरीद लूंगी लक्जरी कार- दुती
BMW सीरीज़ 3 के रूप में दुती ने अपनी पहली लक्जरी कार खरीदी थी, लेकिन कठिन समय में उन्हें इसे बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "मैं इससे परेशान नहीं हूं। मैं अपनी प्रतियोगिताओं के दम पर कार खरीदने में सक्षम हुई थी। मैं फिर से प्रतियोगिता में हिस्सा लूंगा, पैसे कमाउंगी और अपने लिए लक्जरी कार खरीदूंगी। फिलहाल 2021 ओलंपिक के लिए फोकस और ट्रेनिंग महत्वपूर्ण है।"
दुती को 2014 में झेलना पड़ा था बैन
100 और 200 मीटर की रेस में कई मेडल जीतने वाली दुती को 2014 में बैन कर दिया गया था। 2014-15 के राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेलों में उन्हें हिस्सा भी नहीं लेने दिया गया था। उन पर बैन पुरुष हार्मोन की अधिकता होने के कारण लगी थी। हालांकि, उन्होंने अपना केस लड़ा और फिर ट्रैक पर वापसी की। दुती ने एशियन गेम्स 2018 में 100 और 200 मीटर में सिल्वर मेडल जीता था। वह नौ मेडल जीत चुकी हैं।