टोक्यो ओलंपिक: पहले राउंड में जीत हासिल करने के बाद दूसरे राउंड में हारी भवानी देवी
भारतीय तलवारबाज भवानी देवी का ओलंपिक सफर समाप्त हो गया है। अपने पहले ओलंपिक में उन्होंने दूसरे राउंड तक का सफर तय किया। पहले राउंड में भवानी ने ट्यूनीशिया की नादिया बेन अजीजी को 15-3 के अंतर से हराया था, लेकिन दूसरे राउंड में उन्हें विश्व की नंबर तीन वरीयता प्राप्त खिलाड़ी मैनन ब्रूनेट के खिलाफ 7-15 की हार झेलनी पड़ी थी। आइए जानते हैं कैसा रहा भवानी का टोक्यो ओलंपिक में प्रदर्शन।
ब्रूनेट के अनुभव के आगे काम नहीं आया भवानी का आक्रमण
भवानी ने अजीजी के खिलाफ आक्रामक खेल से अंक हासिल किए थे, लेकिन ब्रूनेट ने अपने अनुभव से उन्हें रोकने में सफलता हासिल की। एरेना से बाहर जाने के कारण भवानी ने दो अंक गंवाए थे। पहले दो पीरियड में भवानी केवल दो ही अंक हासिल कर सकी थीं, लेकिन तीसरे में उन्होंने अच्छी वापसी की। ब्रूनेट ने सफाई के साथ खेला और अच्छी तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए दूर से ही अंक बटोरे।
पहले राउंड में अच्छा रहा था भवानी का प्रदर्शन
तीसरे और फाइनल राउंड में 2-8 से पिछड़ने के बाद भवानी को वापसी के लिए अदभुत खेल दिखाने की जरूरत थी, लेकिन ब्रूनेट नौ मिनट 48 सेकेंड तक चले मैच में बिल्कुल परेशानी में नहीं दिखीं। पहले राउंड में भवानी ने कमाल का प्रदर्शन किया था और अजीजी के खुले हुए स्टांस का फायदा लेते हुए लगातार अंक बटोरे और मैच अपने नाम किया था। पहले राउंड में वह अलग ही खिलाड़ी नजर आई थीं।
पहले 15 अंक हासिल करने वाले को घोषित किया जाता है विजेता
ट्यूनीशिया की खिलाड़ी के खिलाफ पहले तीन मिनट के पीरियड में भवानी ने एक भी अंक नहीं गंवाया था और उन्होंने 8-0 की बेहतरीन बढ़त हासिल कर ली थी। दूसरे पीरियड में अजीजी ने भी कुछ टच हासिल किए, लेकिन भवानी ने शानदार खेल जारी रखते हुए मैच को छह मिनट 14 सेकेंड में ही अपने नाम कर लिया था। जो तलवारबाज पहले 15 अंक हासिल कर लेता है उसे विजेता घोषित किया जाता है।
ये उपलब्धियां हासिल करने वाली पहली भारतीय हैं भवानी
फिलीपींस में हुए 2014 एशियन चैंपियनशिप में अंडर-23 वर्ग में उन्होंने रजत पदक जीता था और ऐसा करने वाली पहली भारतीय बनी थीं। 2019 में कैनबेरा में हुए सीनियर कॉमनवेल्थ फेन्सिंग चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण जीतकर इतिहास बनाया था। उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर पहला पदक 2009 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में कांस्य के रूप में जीता था। इसके बाद उन्होंने पांच अलग-अलग प्रतियोगिताओं और वर्ग में कांस्य पदक जीते थे।