क्यों चर्चा में है ट्विटर जैसी कू ऐप और इसे किसने बनाया है?
ट्विटर के साथ सरकार के तकरार के बीच कई केंद्रीय मंत्री और सरकारी विभाग कू (Koo) ऐप पर एक्टिव हो गए हैं। कई मंत्रियों ने बकायदा ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है कि वो कू ऐप इस्तेमाल करने लगे हैं। दरअसल, कू ऐप ट्विटर का स्वदेशी वर्जन है। इसमें भी ट्विटर की तरह लोगों को फॉलो किया जा सकता है और 'कू' को लाइक और 'रिकू' किया जाता है। आइये, जानते हैं कि कू ऐप को किसने तैयार किया है।
कू ऐप के पीछे हैं ये एंटरप्रेन्योर
माइक्रोब्लॉगिंग साइट कू ऐप को एंटरप्रेन्योर ए राधाकृष्णन और मयंक बिडवाटका ने शुरू किया था। राधाकृष्णन ने ऑनलाइन कैब बुकिंग सर्विस टैक्सीफॉरस्योर की भी शुरुआत की थी, जिसे बाद में ओला कैब्स को बेच दिया गया। कू ऐप लाने से पहले इसकी पेरेंट कंपनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने कोरा (Quora) का भारतीय वर्जन वोकल शुरू किया था। हाल ही में इंफोसिस के पूर्व CFO मोहनदास पाई की कंपनी 3one4 कैपिटल ने इसमें निवेश किया है।
चर्चा में कैसे आई कू ऐप?
कू ऐप की शुरुआत पिछले साल की शुरुआत में हुई थी, लेकिन सरकार के आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज को जीतकर यह ऐप चर्चा में आई। अब केंद्रीय मंत्रियों के इस पर आने के बाद यह फिर से सुर्खियों में है। इनोवेशन चैलेंज जीतने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में भी इस ऐप का जिक्र किया था। खबर लिखे जाने के समय #kooapp ट्विटर पर ट्रेंडिंग टॉपिक बना हुआ था।
कू ऐप पर मौजूद हैं ये बड़े नाम
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, रविशंकर प्रसाद, सांसद तेजस्वी सूर्या, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, ईशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव, पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले आदि बड़े नाम कू ऐप पर मौजूद हैं। इनके अलावा इस पर नीति आयोग और भारतीय डाक आदि के भी अकाउंट हैं।
मंत्रियों का इस पर आना क्या बताता है?
किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने वाले कुछ अकाउंट्स को लेकर सरकार और ट्विटर के बीच तकरार चल रही है। ट्विटर ने सरकार की मंजूरी के बिना कुछ अकाउंट रिस्टोर कर दिए थे। IT मंत्रालय ने सरकार का आदेश न मानने पर ट्विटर को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। इसके बाद मंत्रियों का कू ऐप पर आना दिखाता है कि सरकार ट्विटर के समानांतर एक स्वदेशी विकल्प खड़ा करने की कोशिश में है।