ISRO इस साल अभी कौन से मिशन करने वाला है लॉन्च?
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। नासा समेत कई अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर ISRO ने हाल ही में कई मिशन पूरे किए हैं। अब 2025 के आखिरी 2 महीनों में ISRO कुछ बड़े मिशन लॉन्च करने वाला है, जिसमें CMS-03, LVM3-M6 और PSLV-C62 शामिल हैं। इन मिशनों से भारत की सैटेलाइट संचार और अंतरिक्ष तकनीक क्षमता और मजबूत होगी।
CMS-03
CMS-03 मिशन कब होगा लॉन्च
ISRO का पहला मिशन CMS-03 संचार सैटेलाइट का है, जिसे 2 नवंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। यह सैटेलाइट LVM3 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। लगभग 4,400 किलोग्राम वजनी CMS-03 ISRO का अब तक का सबसे भारी संचार सैटेलाइट होगा। यह सैटेलाइट भारत के भूभाग और समुद्री क्षेत्रों को कवर करेगा और खासकर नौसेना के सामरिक संचार को मजबूत बनाएगा, साथ ही आपदा प्रबंधन और नागरिक सेवाओं में भी मदद करेगा।
LVM3-M5
LVM3-M5 सैटेलाइट का उद्देश्य
ISRO के LVM3-M5 मिशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना की संचार प्रणाली को उन्नत बनाना है। यह सामरिक संचार सैटेलाइट आधुनिक तकनीक से लैस होगा, जो सुरक्षित और तेज डाटा ट्रांसमिशन की सुविधा देगा। इस सैटेलाइट की मदद से नौसेना को समुद्र में रीयल-टाइम कम्युनिकेशन मिलेगा, जिससे सुरक्षा, निगरानी और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ेगी। यह भारत की रक्षा प्रणाली को भी मजबूती प्रदान करेगा और रणनीतिक संचालन को अधिक प्रभावी बनाएगा।
LVM3-M6
LVM3-M6 मिशन दिसंबर में लॉन्च होगा
दिसंबर के पहले हफ्ते में ISRO LVM3-M6 मिशन लॉन्च करेगा। यह LVM3 रॉकेट का छठा परिचालन मिशन होगा। इस मिशन में CE20 क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया जाएगा जो ISRO की भारी रॉकेट लॉन्च क्षमता को और बेहतर बनाएगा। इस मिशन से बड़े सैटेलाइट्स को उच्च कक्षा में भेजना आसान होगा और भविष्य के मानव अंतरिक्ष अभियानों, वैज्ञानिक प्रयोगों तथा वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च सेवाओं में भी यह तकनीक उपयोगी साबित होगी।
PSLV-C62
PSLV-C62 मिशन से वापसी की तैयारी
ISRO दिसंबर के मध्य या अंत में PSLV-C62 मिशन भी लॉन्च करेगा। यह PSLV रॉकेट की वापसी उड़ान होगी, जो पहले सितंबर-अक्टूबर के लिए तय थी। पिछले मिशन में आई तकनीकी परेशानी के बाद इसरो अब इसे और उन्नत तकनीक के साथ लॉन्च करेगा। इस मिशन का मकसद छोटे और मध्यम सैटेलाइट्स को कक्षा में स्थापित करना है, जिससे भारत के कॉमर्सियल सैटेलाइट कार्यक्रमों और अंतरिक्ष सहयोग को बल मिलेगा।