गहरे समुद्र में चलने वाली भारत के पहले मानवयुक्त पनडुब्बी 'मत्स्य 6000' की क्या है खासियत?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष के बाद अब भारत गहरे समुद्र की दुनिया में एक नई पहचान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। देश में बने पहले मानवयुक्त गहरे समुद्र सबमर्सिबल 'मत्स्य 6000' का अनावरण किया गया है। इस परियोजना की जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी है। इसका उद्देश्य भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करना है, जो हजारों मीटर गहराई तक इंसानों को भेजकर वैज्ञानिक खोज कर सकते हैं।
खासियत
मत्स्य 6000 की तकनीकी खासियत क्या है?
मत्स्य 6000 को 3 लोगों को लेकर समुद्र की सतह से 6,000 मीटर नीचे तक ले जाने के लिए तैयार किया गया है। इसमें कई आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण और खोज से जुड़ी मशीनें लगी हैं। सबमर्सिबल सामान्य स्थिति में 12 घंटे तक लगातार काम कर सकता है। किसी आपात स्थिति में इसकी क्षमता 96 घंटे तक सुरक्षित रूप से चलने की है, जिससे शोध कार्य बिना रुकावट आगे भी लगातार जारी रह सके।
फायदा
खोज, रिसर्च और ब्लू इकॉनमी को मिलेगा फायदा
इस पनडुब्बी से वैज्ञानिक समुद्र की गहराइयों में मौजूद खनिज संसाधन, जैविक जीवन और पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी जुटा सकेंगे। इससे ब्लू इकॉनमी को मजबूती मिलने की उम्मीद है। समुद्र से जुड़े कारोबार, रिसर्च और नई तकनीकों को बढ़ावा मिलेगा। भारत की समुद्री वैज्ञानिक ताकत और वैश्विक पहचान भी मजबूत होगी। यह परियोजना देश को भविष्य की समुद्री चुनौतियों के लिए तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम है माना जा रहा।
योजना
डीप ओशन मिशन और आगे की योजना
मत्स्य 6000 को भारत सरकार के डीप ओशन मिशन के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी ने डिजाइन और विकसित किया है। इसका पहला मानवयुक्त 500 मीटर गहराई का परीक्षण डाइव 2026 में करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके बाद 2027 तक 6,000 मीटर का डाइव किया जाएगा। अगले साल की शुरुआत में 2 भारतीय एक्वानॉट्स चेन्नई तट से इसका संचालन करेंगे, जिससे मिशन की वास्तविक तैयारी शुरू हो सके आगे चलकर।