#NewsBytesExplainer: सिम स्वैपिंग क्या है और इससे कैसे बचें?
स्मार्टफोन लोगों के रोजमर्रा के जीवन का जरूरी हिस्सा हो गए हैं। फोन को लोग बैंकिंग, ईमेल और व्हाट्सऐप आदि विभिन्न कार्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं। इन सुविधाओं को इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल नंबर या सिम भी जरूरी है। ऐसे में साइबर फ्रॉड करने वाले लोगों के साथ ठगी करने के लिए सिम स्वैपिंग के जरिए उनके नंबर को हथियाने का प्रयास करते हैं। जान लेते हैं सिम स्वैपिंग और इससे बचने के तरीके।
क्या है सिम स्वैपिंग?
सिम स्वैपिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जहां घोटालेबाज सिम कार्ड तक पहुंच बनाने का प्रयास करते हैं। दरअसल, सिम कार्ड लोगों की एक डिजिटल पहचान होती है और इसकी चोरी से ठगों के कई काम आसान हो जाते हैं। जैसे ही ठग एक बार यूजर के मोबाइल नंबर तक पहुंच हासिल कर लेते हैं तो वे यूजर्स के दोस्तों और परिजनों से पैसे वसूलते हैं। लोगों के ऑनलाइन बैंकिंग तक भी पहुंचने का प्रयास करते हैं।
आपके नंबर की नई सिम हासिल करने का प्रयास करते हैं अपराधी
एक बार नंबर तक पहुंच हासिल करने के बाद साइबर ठग यूजर के आधार कार्ड जैसे पहचान पत्र सहित विभिन्न दस्तावेजों से जुड़ी जानकारी हासिल करते हैं। इन जानकारियों को हासिल करने के बाद ये डुप्लीकेट सिम के लिए आवेदन करते हैं। सफल होने पर वे यूजर के नंबर की नई सिम हासिल कर लेते हैं। इसलिए जब आपके सिम में नेटवर्क कवरेज न दिखे तो आपको सचेत हो जाना चाहिए और इसके कारण की जांच करनी चाहिए।
सिम में नेटवर्क न दिखने पर हो जाएं सचेत
दरअसल, यदि आपके सिम कार्ड में नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं दिखती है तो इस बात की आशंका हो सकती है कि कहीं किसी और ने तो आपके फोन नंबर का एक्सेस नहीं हासिल कर लिया। यदि नेटवर्क नहीं है या फिर मैसेज भेजने या कॉल करने में दिक्कत हो रही है तो सिम स्वैप की आशंका हो सकती है। अपराधी OTP और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के लिए हर हाल में सिम कार्ड का एक्सेस प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
स्मिशिंग और फिशिंग जैसी हैकिंग विधियों का करते हैं इस्तेमाल
अपराधी यूजर के नंबर की दूसरी सिम हासिल करने के लिए स्मिशिंग और फिशिंग जैसी हैकिंग विधियों का इस्तेमाल करते हैं। इसके तहत ये बैंक आदि के नाम से मिलती-जुलती फर्जी लिंक भेजते हैं, जिसमें एक फॉर्म में व्यक्तिगत जानकारी भरने के लिए कहा जाता है। कुछ मामलों में फोन में कोई ऐप इंस्टाल करने के लिए भी कहा जाता है। ऐप इंस्टाल करते ही दूर बैठे अपराधी को आपके फोन का कंट्रोल मिल जाता है।
फोन का कंट्रोल मिलने के बाद नहीं होती सिम की जरूरत
अपराधी को यूजर के फोन का कंट्रोल मिलने के बाद उसे ठगी करने के लिए फिजिकल सिम कार्ड यानी की उसी नंबर की दूसरी सिम कार्ड निकलवाने की जरूरत भी नहीं होती है। वह दूर बैठे-बैठे ही सभी काम कर लेता है।
ऐसे करें बचाव
फोन या सिम खो जाने पर तुरंत अपनी सिम कंपनी से बात करें और सिम कार्ड ब्लॉक करा दें। इसके बाद जितनी जल्दी हो सके अपने नंबर की दूसरी सिम प्राप्त करने की कोशिश करें। इस दौरान यदि किसी अपराधी के हाथ आपकी सिम लग गई है तो आप जैसे ही उसी नंबर की नई सिम प्राप्त करेंगे तो पहले से चालू सिम बंद हो जाएगी। ऐसे में कोई भी फ्रॉड आपके सिम कार्ड का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा।
सिम कार्ड को लॉक करके सिम स्वैपिंग से हो सकता है बचाव
सिम कार्ड को लॉक करके सिम स्वैपिंग से बच सकते हैं। सिम कार्ड का एक्सेस पाने के लिए एक पासवर्ड दर्ज करना होगा। यदि आप पासवर्ड भूल जाते हैं तो आपको डुप्लिकेट सिम कार्ड के लिए अपने नेटवर्क प्रदाता से संपर्क करना पड़ सकता है। दरअसल, जब लॉक की गई एक सिम को एक फोन से दूसरे फोन में लगाया जाता है तो सिम लॉकिंग शुरू हो जाती है और सही पासवर्ड के बिना उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
ई-सिम है बेहतर विकल्प
यदि आपके पास ऐसा स्मार्टफोन है, जो ई-सिम को सपोर्ट करता है तो अपने फिजिकल सिम कार्ड को ई-सिम में बदलवा सकते हैं। यह खुद को सिम स्वैपिंग से बचाने का एक और बेहतरीन तरीका है। डिवाइस को अनलॉक किए बिना ई-सिम को ट्रांसफर करना लगभग असंभव है। ऐसे में फोन चोरी होने के बाद भी यूजर्स सिम स्वैपिंग जैसी धोखाधड़ी से बचे रह सकते हैं। अपने विभिन्न ऐप्स के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू करके रखें।