रिलायंस और एनवीडिया ने भारत में AI लैंग्वेज मॉडल बनाने के लिए की साझेदारी
क्या है खबर?
भारत की चिप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) महत्वाकांक्षाओं के विकास को आगे बढ़ाने लिए एनवीडिया और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 8 सितंबर को एक साझेदारी की घोषणा की है।
दोनों कंपनियां मिलकर जनरेटिव AI के लिए देश की विविध भाषाओं पर प्रशिक्षित एक बड़े लैंग्वेज मॉडल (LLM) को विकसित करेंगी।
इसके अलावा ये AI इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए भी मिलकर काम करेंगी, जो आज भारत में सबसे तेज सुपरकंप्यूटर की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली है।
मॉडल
क्या होता है लैंग्वेज मॉडल?
LLM ऐसे मशीन लर्निंग मॉडल हैं, जो प्राकृतिक भाषा को प्रोसेस करने और समझने के लिए डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं।
LLM को भाषा, भाषा के पैटर्न और विभिन्न इकाईयों को सीखने के लिए भारी मात्रा में टेक्स्ट डाटा पर ट्रेनिंग दी जाती है।
उसी आधार पर ये अनुवाद, भावनाओं का विश्लेषण, चैटबॉट कंवर्सेशन आदि काम करते हैं। ये नया टेक्स्ट जनरेट करने में सक्षम होते हैं।
AI टूल इन्हीं LLM पर आधारित होते हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर
एनवीडिया और जियो का रहेगा ये रोल
एनवीडिया AI क्लाउड में अपने सबसे उन्नत चिप्स और AI सुपरकंप्यूटिंग सर्विस तक पहुंच प्रदान करेगा।
AI सिस्टम को लागू करने और उसके प्रबंधन का काम जियो करेगी। जियो के पास मोबाइल टेलीफोन, 5G स्पेक्ट्रम, फाइबर नेटवर्क सहित कई क्षेत्रों का अनुभव है।
एनवीडिया के साथ रिलायंस की साझेदारी उपभोक्ताओं और व्यावसायिक ग्राहकों दोनों के लिए एक बड़े व्यापक डिजिटल, क्लाउड और नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म के रूप में सर्विस उपलब्ध कराने की रणनीति का हिस्सा है।
डिजिटल
एनवीडिया के CEO और मुकेश अंबानी ने कही ये बात
दिग्गज चिप निर्माता कंपनी एनवीडिया के संस्थापक और CEO जेन्सेन हुआंग और रिलायंस के मुकेश अंबानी ने इस साझेदारी पर खुशी जाहिर की।
अंबानी ने कहा, "एनवीडिया के साथ मिलकर हम टिकाऊ AI क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करेंगे।"
बता दें, एनवीडिया AI कंप्यूटिंग डिवाइस के लिए चिप तैयार करती है।
दूसरी तरफ हुआंग ने कहा कि भारत के पास डाटा और प्रतिभा है। सबसे उन्नत AI कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ रिलायंस अपने बड़े लैंग्वेज मॉडल का निर्माण कर सकती है।
जानकारी
2,000 मेगावाट तक बढ़ाया जाएगा डाटा सेंटर
रिपोर्ट के मुताबिक, AI इंफ्रास्ट्रक्चर को AI रेडी कंप्यूटिंग डाटा सेंटर्स में होस्ट किया जाएगा जो अंतत: 2,000 मेगावाट तक बढ़ाया जाएगा। जियो के पास AI कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को शुरू करने के और मैनेज करने के लिए बुनियादी ढांचा और इंजीनियरिंग कौशल है।
मीटिंग
रिलायंस की आम बैठक में अंबनी ने कही थी ये बात
अंबानी ने 28 अगस्त को रिलायंस की वार्षिक आम बैठक (AGM) में AI मॉडल और सॉल्यूशन बनाने की योजना की घोषणा की थी।
उन्होंने हर सेक्टर में AI के बढ़ते उपयोग पर कहा था कि भारत के लिए जियो के AI सॉल्यूशन भारतीय नागरिकों, व्यवसायों और सरकार के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
उन्होंने कहा था कि भारत के पास डाटा और प्रतिभा है, लेकिन AI-रेडी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की भी जरूरत है, जो AI की विशाल कम्प्यूटेशनल मांग को संभाल सके।
वादा
अंबानी ने हर किसी को AI देने का किया था वादा
AGM में ही उन्होंने कहा था कि रिलायंस 2,000 मेगावाट तक AI-रेडी कंप्यूटिंग क्षमता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
AGM संबोधन में अंबानी ने ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को लेकर कहा था कि 7 साल पहले, जियो ने हर किसी को, हर जगह ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का वादा किया था और इसे पूरा किया है। आज जियो हर किसी को, हर जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) देने का वादा करती है और इसे भी पूरा करेगी।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
टेक जगत में AI का दौर चल रहा है। कंपनियां अपनी ऐप, वेबसाइट और ब्राउजर को तेजी से AI से लैस कर रही हैं।
AI को और बेहतर बनाने के लिए नए लैंग्वेज मॉडल पर काम किया जा रहा है। विभिन्न AI चैटबॉट और टूल इन्हीं लैंग्वेज मॉडल पर आधारित होते हैं।
जितना बड़ा लैंग्वेज मॉडल (LLM) होता है, वह उतने ही जटिल कार्यों को करने में सक्षम होता है। गूगल और OpenAI जैसी कंपनियों के अपने लैंग्वेज मॉडल हैं।