नासा के रोवर ने मंगल ग्रह पर पहली बार कैद की बिजली कड़कने की आवाज
क्या है खबर?
अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर पहली बार बिजली कड़कने की आवाज कैद की है। नेचर की रिपोर्ट के अनुसार, 2 साल की रिकॉर्डिंग में रोवर ने 55 बार इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज पकड़े। ये घटनाएं धूल भरी आंधियों और घूमते गुबार के दौरान हुईं, जिससे यह साफ होता है कि मंगल का पतला और सूखा वातावरण भी सही परिस्थितियों में बिजली बना सकता है, जिसका वैज्ञानिकों को पहले से शक था।
प्रक्रिया
मंगल पर कैसे बनती है बिजली?
मंगल पर बिजली बनने की प्रक्रिया पृथ्वी जैसी ही है। जब तेज हवाएं धूल के कणों को रगड़ती हैं, तो उनमें इलेक्ट्रिक चार्ज बनता है और फिर अचानक डिस्चार्ज होकर छोटी चमक पैदा होती है। यह बिजली सूखी धूल वाले तूफानों में भी बन सकती है, जैसा धरती पर ज्वालामुखी की राख या रेत के तूफानों में होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह प्रक्रिया मंगल के सतह के पास सबसे ज्यादा होती है, जहां वातावरण का दबाव अधिक रहता है।
रिकॉर्ड
रोवर ने कैसे रिकॉर्ड किया?
वैज्ञानिकों ने पर्सिवेरेंस रोवर के सुपरकैम माइक्रोफोन से मिले 28 घंटे के डेटा का विश्लेषण किया। माइक्रोफोन आवाज के साथ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल भी रिकॉर्ड करता है, जिसमें अचानक 'ब्लिप' और उसके बाद मिलीसेकंड तक हल्का कंपन मिलता है। 7 रिकॉर्डिंग में छोटे सोनिक बूम भी मिले, जो बिजली के गर्म होकर फैलने की वजह से बनते हैं। धरती पर किए गए प्रयोगों ने भी पुष्टि की कि मंगल पर मिली आवाजें बिजली के छोटे डिस्चार्ज जैसी ही थीं।
महत्व
वैज्ञानिक महत्व और भविष्य पर असर
यह खोज बताती है कि मंगल पर बिजली वास्तव में मौजूद है, भले ही वह धरती की तुलना में बहुत कमजोर हो। इससे भविष्य में मंगल मिशनों की सुरक्षा डिजाइन बेहतर बनाई जा सकेगी, ताकि उपकरण इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज से नुकसान न झेलें। वैज्ञानिक अब मंगल के वातावरण में होने वाली केमिकल प्रतिक्रियाओं और जीवन की संभावना को नए नजरिए से समझ सकते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह अध्ययन मंगल के वातावरण पर नई खोजों के बड़े अवसर खोलता है।