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    #FutureTech: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और बायोलॉजी का बेजोड़ संगम हैं जेनोबोट्स

    #FutureTech: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और बायोलॉजी का बेजोड़ संगम हैं जेनोबोट्स

    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 05, 2020
    01:11 pm

    क्या है खबर?

    आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) और बायोलॉजी को मिलाकर दुनिया का पहला लिविंग रोबोट तैयार किया गया है।

    जेनोबोट्स (Xenobots) नाम का यह लिविंग रोबोट इंसानों और जानवरों की तरह खुद ठीक हो सकता है। इसे मेंढक की स्टेम सेल की मदद से तैयार किया गया है।

    यह इतना छोटा है कि इंसानी शरीर के अंदर जाकर किसी निर्धारित जगह पर दवा पहुंचा सकता है और सेंसर की मदद से बीमारी का पता लगा सकता है।

    जेनोबोट्स

    कई हफ्तों तक बिना भोजन रह सकते हैं जेनोबोट्स

    इस लिविंग रोबोट को यूनिवर्सिटी ऑफ वेरमोंट और टुफ्ट्स यूनिवर्सिटी ने तैयार किया है। इस छोटी मशीन का साइज 1mm से भी कम है।

    इसे बनाने वाले रिसर्चर के शब्दों में 'यह कला की एक नई श्रेणी है, जो जीवित है और जिसे प्रोग्राम किया जा सकता है।'

    यह रोबोट तैर सकता है, इकट्ठे होकर काम कर सकता है और हफ्तों तक बिना भोजन के रह सकता है। हालांकि, यह खुद विकसित नहीं हो सकता।

    जेनोबोट्स

    स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं जेनोबोट्स

    जेनोबॉट्स 500-1000 लिविंग सेल्स की मदद से तैयार किए गए हैं। ये बोट्स लिनियर या सर्कुलर डायमेंशन में चल सकते हैं, साथ काम करने के लिए एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं और छोटी चीजों को हिला सकते हैं।

    माना जा रहा है कि ये बायोमशीन इंसान और पशुओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी क्रांति ला सकते हैं। हालांकि, इसे लेकर कई नैतिक और कानूनी सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

    जेनोबोट्स

    ऐसे तैयार किए गए जेनोबोट्स

    जेनोबोट्स बनाने के लिए रिसर्चर ने सुपरकंप्यूटर की मदद से हजारों जीवित चीजों के डिजाइट को टेस्ट किया जो निर्धारित काम कर सके।

    इस कंप्यूटर को विशेष प्रकार के AI से लैस किया गया था ताकि यह बता सके कि कौन-सा ऑर्गेनिजस्म किसी टारगेट की तरफ बढ़ने जैसा काम सकता है।

    एक डिजाइन का चयन करने के बाद रिसर्चर ने इसे मेंढ़क की स्किन और हर्ट सेल्स से मिलाकर देखा। इसके बाद इन्हें माइक्रोसर्जरी टूल्स की मदद से जोड़ दिया।

    जेनोबोट्स

    दूसरे रोबोट से ज्यादा इको-फ्रेंडली हैं जेनोबोट्स

    जेनोबोट्स को भले ही 'प्रोग्राम किए जा सकने योग्य लिविंग रोबोट्स' कहा जा रहा है, लेकिन यह पूरी तरह ऑर्गेनिक और लिविंग टिश्यू से बना है।

    इसे रोबोट इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि इसे अलग-अलग स्वरुपों और आकारों में तैयार किया जा सकता है और इसे अलग-अलग काम करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है।

    खराब होने पर ये अपने अपनी मरम्मत खुद कर सकते हैं। दूसरे रोबोट्स की तुलना में ये ज्यादा इको-फ्रेंडली हैं।

    उपयोग

    जेनोबोट्स का कहां इस्तेमाल किया जा सकता है?

    जानकार जेनोबोट्स को बड़े काम की चीज बता रहे हैं। इनका इस्तेमाल समुद्र से माइक्रोप्लास्टिक हटाने के लिए किया जा सकता है। ऐसे ही दूसरी खतरनाक जगहों पर जहरीले या रेडियो एक्टिव मैटेरियल को हटाने के लिए इनकी मदद ली जा सकती है।

    इन रोबोट्स को और विकसित कर रोबोटिक सिस्टम से जुड़ी इंसानी समझ को बढ़ाया जा सकता है। इससे इंसानी जीवन के अनसुलझे राज़ से भी पर्दा उठ सकता है और AI के इस्तेमाल सुधारा जा सकता है।

    जानकारी

    इंसानी शरीर के लिए ये फायदे

    जेनोबोट्स की मदद से इंसानी शरीर में दवा पहुंचाई जा सकती है। भविष्य में इंसानी सेल्स से ऐसे बोट्स तैयार कर कैंसर जैसे बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

    सवाल

    जेनोबोट्स को लेकर उठ रहे हैं ये सवाल

    टेक्नोलॉजी का अच्छा और बुरा पक्ष दोनों होता है। जेनोबोट्स के मामले में भी ऐसा ही है। जैसे कैंसर के इलाज के लिए इनका इस्तेमाल होगा, वैसे ही किसी गलत काम के लिए इसे इंसानी शरीर पर प्रयोग किया जा सकता है।

    इसके अलावा इस बात को लेकर भी चिंता जताई जा रही है कि जैसे न्यूक्लियर फिजिक्स, केमिस्ट्री और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आदि क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग हुआ है, वैसे ही जेनोबोट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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