भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अब रूस में कर रहा सड़कों की सफाई, जानिए कितना कमा रहा
क्या है खबर?
रूस में श्रमिकों की भारी कमी के चलते भारतीय प्रवासियों के एक समूह ने सड़क सफाई का काम शुरू कर दिया है। लगभग 4 महीने पहले रूस पहुंचे 17 भारतीयों में 26 वर्षीय मुकेश मंडल भी शामिल हैं, जो पहले सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में काम करते थे। पिछले कई सप्ताह से वह और अन्य भारतीय कर्मचारी सड़क रखरखाव कंपनी कोलोम्याज्स्कोये के तहत शहर की सड़कों की सफाई कर रहे हैं।
दावा
माइक्रोसॉफ्ट में काम करने का दावा
मुकेश मंडल ने हाल ही में रूसी मीडिया आउटलेट फोंटांका से सेंट पीटर्सबर्ग में सड़क सफाई के अपने मौजूदा काम के बारे में बात की और दावा किया कि रूस आने से पहले उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में काम किया था। मंडल ने टूटी-फूटी अंग्रेजी में कहा, "मैंने ज्यादातर माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में काम किया है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), चैटबॉट, GPT जैसे नए टूल का इस्तेमाल किया है। मूल रूप से मैं एक डेवलपर हूं।"
विचार
सफाई का काम चुनने के पीछे बताई यह वजह
युवा कर्मचारी ने बताया कि रूस में उनका प्रवास अस्थायी है और आर्थिक जरूरत पूरी होने पर देश लौट जाएंगे। विदेश में सड़क की सफाई का काम करने के फैसले के बारे में पूछने पर मंडल ने दार्शनिक अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा, "काम तो भगवान का रूप होता है। आप कहीं भी काम कर सकते हैं- शौचालय में, सड़क पर, कहीं भी। यह मेरा काम है, मेरा कर्तव्य और मेरी जिम्मेदारी है, इसे यथासंभव अच्छे से निभाना।"
वेतन
कितना मिलता है श्रमिकों को वेतन?
फोंटांका के अनुसार, ये श्रमिक 19 से 43 वर्ष की आयु के हैं और भारत में विभिन्न व्यावसायिक पृष्ठभूमि से आते हैं। इस समूह में वेडिंग प्लानर, चमड़ा कारीगर, ड्राइवर, आर्किटेक्ट के रूप में काम करने वाले लोग शामिल हैं। कोलोम्याज्स्कोये ने भारत से आए सभी 17 श्रमिकों के आगमन में सहायता की और उनके भोजन और आवास का खर्च भी उठाया। प्रत्येक श्रमिक लगभग 1 लाख रूबल कमाता है, जो लगभग 1.1 लाख रुपये के बराबर है।