लॉकडाउन में मोबाइल पर ज्यादा समय बिता रहे बच्चे, ऐसे रखें उनकी गतिविधियों पर नजर
पिछले एक-दो दिन से इंस्टाग्राम पर बना 'बॉइज लॉकर रूम' ग्रुप काफी चर्चा में है। इस ग्रुप में यौन हिंसा से लेकर लड़कियों के साथ रेप तक की बातें होती थी। हैरान करने वाली बात ये है कि इसके अधिकतर मेंबर स्कूल के छात्र हैं। ग्रुप की जानकारी सामने आने के बाद एक छात्र को हिरासत में लिया गया है। इस घटना ने सोशल मीडिया पर बच्चों की गतिविधियों को लेकर अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है।
लॉकडाउन के कारण इंटरनेट पर ज्यादा समय बीता रहे बच्चे
लॉकडाउन के कारण आजकल बच्चों को होमवर्क भी मोबाइल पर मिलने लगा है। इसके कारण वह पहले से ज्यादा समय तक सोशल मीडिया पर एक्टिव रहता है। ऐसे में कुछ अभिभावक इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चे इंटरनेट पर कैसा कंटेट देख रहे हैं, किन साइट पर विजिट कर रहे हैं और कैसे लोगों के संपर्क में है। हम कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिससे आप इन चीजों को मॉनिटर कर सकते हैं।
पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स
गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर कई पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स मौजूद हैं। गूगल की फैमिली लिंक ऐप दो पार्ट्स में आती है। इसमें एक अभिभावक और एक बच्चे के लिए होती है। ऐसी ही कुछ दूसरी ऐप्स Net Nanny, Nischint और eKavach आदि हैं। ये सभी ऐप्स एंड्रॉयड और आईफोन डिवाइस के लिए उपलब्ध हैं। इन ऐप्स में जियो-फेंसेस सेट हो जाती है। अगर आपका बच्चा तय साइट से अलग पर विजिट करेगा तो आपके पास अलर्ट आ जाएगा।
स्क्रीन टाइम और ऐप यूज को मॉनिटर करती हैं ऐसी ऐप्स
इसके अलावा ये ऐप्स स्क्रीन टाइम और ऐप यूज को मॉनिटर करती है। इसकी रिपोर्ट आपके पास आ जाएगी। साथ ही इनके जरिये आप उन वेबसाइट और ऐप्स को ब्लॉक कर सकते हैं, जो बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। इनसे आपको बच्चों के लिए इंटरनेट इस्तेमाल करने का रूटीन तय करने में मदद मिलेगी। इनमें से कुछ ऐप्स आपके SMS टेक्स्ट मैसेज को पढ़ सकती है, लेकिन ये व्हाट्सऐस, ट्विटर, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट के मैसेज को नहीं पढ़ पाएंगी।
स्पाईवेयर के इस्तेमाल से
अगर आप यह देखना चाहते हैं कि आपके बच्चे सोशल मीडिया पर क्या बात कर रहे हैं तो आपको स्पाईवेयर का इस्तेमाल करना होगा। हालांकि, यह काम आसान भी नहीं है और अगर आप यह बच्चे की मर्जी के बिना करते हैं तो गैर-कानूनी भी है। स्पाईवेयर आपको प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर नहीं मिलेंगे। इन ऐप्स यूजर के फोन में कस्टम कीबोर्ड इंस्टॉल कर देती है जो हर मैसेज को रिकॉर्ड कर लेता है।
मैसेंजर फॉर किड्स
फेसबुक ने 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मैसेंजर फॉर किड्स लॉन्च किया था। इसके जरिये बच्चे सेफ मैसेजिंग और वीडियो चैट्स कर सकते हैं। इसमें आप कॉन्टैक्ट को अप्रूव कर सकते हैं, जिसके बाद बच्चे उन्हीं कॉन्टैक्ट से चैटिंग कर पाएंगे।
बच्चों को समझाएं अच्छे और बुरे का अंतर
बच्चों को शक की नजर से देखने से बेहतर हैं उन्हें अच्छे और बुरे का अंतर बताना। ऐप्स इंटरनेट पर उसकी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर देगी, लेकिन इससे उसकी समझ विकसित नहीं होगी। यह टेक्नोलॉजी से ज्यादा इस बात पर निर्भर करता है कि आपका बच्चों के साथ रिश्ता कैसा है। उनसे दोस्ताना व्यवहार रखें और सोशल मीडिया की गतिविधियों के बारे में चर्चा करें। अगर वह कभी परेशान लगे तो उससे इस बारे में बातचीत करे।