नासा का आर्टिमिस-1 मिशन कैसे अंतरिक्ष खोज में नई शुरुआत कर सकता है?
क्या है खबर?
करीब पांच दशक बाद एक बार फिर इंसानों को चांद पर उतारने की तैयारी शुरू हो चुकी है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने बुधवार सुबह अमेरिका के फ्लोरिडा से आर्टिमिस-1 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है।
इंसानों को चांद पर भेजने से पहले यह ट्रायल मिशन है, जिससे अंतरिक्ष खोज का एक नया अध्याय शुरू हुआ है।
आइये समझने की कोशिश करते हैं कि यह मिशन कैसे अंतरिक्ष खोज में एक नई शुरुआत कर सकता है।
इतिहास
पहले भी चांद पर उतर चुका है इंसान
1960 और 1970 के दशक में इंसान चांद तक पहुंच चुका है। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ और अमेरिका, दोनों में ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में आगे निकलने की होड़ लगी हुई थी।
सोवियत संघ ने पहले स्पुतनिक सैटेलाइट और फिर लुना 2 स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया और बाद में युरी गागरिन को चांद पर उतारा था। इसके बाद अमेरिका ने भी 1961 में इंसान को चांद पर भेजने का ऐलान किया था।
जानकारी
फिर आया 5 दशक का ब्रेक
बेशक पांच दशक पहले इंसान चांद पर उतर चुका था, लेकिन तब तक तकनीक इतनी उन्नत नहीं हुई थी कि उस उपलब्धि का पूरा फायदा उठाया जा सके। अब एक बार फिर चांद की सतह पर इंसानी पैर टिकाने की कोशिश हो रही है।
बदलाव
अब क्या बदला है?
पांच दशक पहले के अपोलो मिशन के बाद तकनीक में तेजी से विकास हुआ है। अब शनि, मंगल और बृहस्पति ग्रह तक स्पेसक्राफ्ट पहुंच चुके हैं।
50 साल पहले की उस उपलब्धि के बाद 500 से अधिक एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में जाकर आ चुके हैं। अब अंतरिक्ष में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और चीन के तियांगगोंग स्पेस स्टेशन जैसी स्थायी ठिकाने भी बनाए जा चुके हैं, लेकिन अब भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनकी पूरी पड़ताल होना बाकी है।
जांच
आर्टिमिस-1 मिशन क्या पड़ताल करेगा?
अगर आर्टिमिस-1 मिशन की बात करें तो मोटे तौर पर केवल चांद की परिक्रमा करेगा और इसमें कोई एस्ट्रोनॉट नहीं है, लेकिन यह एक बड़ी यात्रा की शुरुआत कर रहा है।
यह उन मिशनों की कड़ी में पहला है, जो न सिर्फ इंसान को चांद पर लेकर जाएंगे बल्कि वहां रहने की संभावना और डीप स्पेस की पड़ताल के लिए चांद को लॉन्च पैड के तौर पर इस्तेमाल करने की संभावनाओं की पड़ताल करेंगे।
पड़ताल
आर्टिमिस मिशन क्या-क्या पड़ताल करेगा?
आगामी आर्टिमिस मिशन चांद पर मिलने वाले संसाधनों की पड़ताल करेंगे और वहां मौजूद हाइड्रोजन और हीलियम को ऊर्जा के स्त्रोत के तौर पर इस्तेमाल करेंगे।
यह सब आर्टिमिस-1 मिशन में नहीं होगा, लेकिन अब इन संभावनाओं के दरवाजे खुल गए हैं, जिससे इंसान को चांद पर उतरना पहले से अधिक आसान और अर्थपूर्ण होगा।
आर्टिमिस-4 मिशन के तहत इंसानों को चांद पर उतारने की कोशिश होगी।
प्रयोग
आर्टिमिस-1 मिशन करेगा ये प्रयोग
आर्टिमिस-1 मिशन के साथ कई क्यूबसैट्स (एक तरह के छोटे सैटेलाइट) भेजे गए हैं, जो वहां अलग-अलग प्रयोगों को अंजाम देंगे। इन प्रयोगों का प्रमुख उद्देश्य चांद पर लंबे समय तक इंसानों के ठहरने की संभवानओं की पड़ताल करना है।
एक क्यूबसैट पानी की तलाश करेगा, वहीं दूसरा हाइड्रोजन का पता लगाएगा। इसके बाद वहां कवक और शैवालों के बर्ताव और उन पर रेडिएशन के प्रभावों की जांच वाले जैविक प्रयोगों वाले उपकरण हैं।
आर्टिमिस-1 मिशन
सबसे शक्तिशाली रॉकेट से लॉन्च हुआ है मिशन
आर्टिमिस-1 एक मानव-रहित मिशन है और इसमें नासा के अब तक के सबसे शक्तिशाली रॉकेट SLS और ओरियन स्पेसक्राफ्ट को परखा जाएगा। इससे यह पता चलेगा कि क्या इन दोनों को सहारे इंसान को चांद पर भेजा जा सकता है।
इस मिशन पर शॉन और शीप नाम के दो खिलौने और दो पुतले भेजे गए हैं, जिन पर 5,600 रेडिएशन सेंसर लगे हुए हैं। ये उस माहौल में इंसानी शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को रिकॉर्ड करेंगे।
मिशन
इसलिए आर्टिमिस-1 पर टिकी हैं सबकी निगाहें
आर्टिमिस-1 मिशन एक टेस्ट फ्लाइट है और यह चांद के रहस्यों का पता लगाने की इंसानी कोशिशों के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा।
साथ ही चांद और उसके पार जाने के लिए नासा की क्षमता को परखेगा।
यह धरती से 4.5 लाख किमी का सफर तय करेगा। मिशन पूरा करने के बाद यह धरती पर लौटेगा। लौटते समय यह स्पेसक्राफ्ट 11 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के वातावरण में प्रवेश करेगा।