गूगल क्रोम में जल्द मिलेगा नया IP प्रोटेक्शन फीचर, ऐसे करेगा काम
गूगल जल्द ही क्रोम यूजर्स के लिए एक नए IP प्रोटेक्शन का परीक्षण शुरू करने की तैयारी में है। इससे यूजर्स को प्राइवेसी पर अधिक नियंत्रण मिलेगा। यह आगामी फीचर वेबसाइटों को प्रॉक्सी सर्वर का उपयोग करके अपने IP एड्रेस को छिपाकर यूजर्स को ट्रैक करने से रोकता है। यह फीचर कई चरणों में शुरू किया जाएगा। आगामी IP प्रोटेक्शन फीचर उन यूजर्स के लिए उपलब्ध होगा जिन्होंने गूगल क्रोम में लॉग इन किया है।
इन चीजों के लिए इस्तेमाल होता है IP एड्रेस
IP एड्रेस एक ऐसा एड्रेस है, जिसका इस्तेमाल यूजर्स की भौगोलिक स्थिति को ट्रैक करने के लिए किया जा सकता है। इसके जरिए विज्ञापनदाताओं द्वारा यूजर्स की ब्राउजिंग आदतों को ट्रैक करने के साथ ही यह पता भी लगाया जाता है कि वे किन वेबसाइटों पर जाते हैं। इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत विज्ञापन प्रदान करने के लिए भी किया जाता है। दुरुपयोग रोकने के लिए गूगल एक ऑथेंटिकेशन सर्वर लागू करेगी, जो प्रत्येक यूजर्स के लिए कोटा निर्धारित करेगा।
कई चरणों में शुरू होगा IP प्रोटेक्शन फीचर
गूगल के अनुसार, IP प्रोटेक्शन फीचर कई चरणों में शुरू किया जाएगा। चरण 0 में गूगल के स्वामित्व वाले डोमेन जैसे जीमेल आदि को एक ही प्रॉक्सी सर्वर पर रीडायरेक्ट किया जाएगा। कंपनी के मुताबिक, पहले चरण में उन्हें अपने बुनियादी ढांचे का परीक्षण करने की अनुमति मिलेगी। आगामी चरणों में गूगल 2-हॉप प्रॉक्सी सिस्टम का उपयोग करेगी। ये वेबसाइट के अनुरोध को गूगल सर्वर पर रीडायरेक्ट करता है जिसे फिर से क्लाउडफ्लेयर जैसे बाहरी CDN पर रीडायरेक्ट किया जाएगा।
विज्ञापन दिखाने से आता है गूगल का अधिकांश रेवेन्य
कंपनी ने स्पष्ट किया है कि IP प्रोटेक्शन फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को बढ़ा सकता है, लेकिन यह एक फुलप्रूफ सिस्टम नहीं है। यानी गूगल के प्रॉक्सी सर्वर तक पहुंचने वाले हैकर यूजर्स को मैलेसियस वेबसाइटों पर रीडायरेक्ट करने में सक्षम होंगे। गूगल का अधिकांश रेवेन्यू इंटरनेट पर यूजर्स को ट्रैक करने और उन्हें व्यक्तिगत विज्ञापन दिखाने से आता है। ऐसे में देखना होगा कि गूगल प्राइवेसी और रेवेन्यू के बीच संतुलन कैसे बनाती है।
प्राइवेसी के लिए यूजर्स अपना सकते हैं ये अन्य तरीके
क्रोम के लिए गूगल के IP प्रोटेक्शन फीचर के अलावा यूजर्स कुछ अन्य तरीके भी अपना सकते हैं। यूजर्स सोशल मीडिया और अन्य साइटों पर कम जानकारी शेयर करें और फोन नंबर या मिडिल नाम जैसी वैकल्पिक जानकारी को छोड़ दें। ऑनलाइन प्रमोशन और अन्य ऑफर के लिए साइन-अप करते समय अपने वास्तविक ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल न करें। फोन से फालतू ऐप्स हटा दें और कंप्यूटर से ब्राउजर एक्सटेंशन हटा दें।