पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट की क्या है खासियत और यह सेना के लिए क्यों अहम?
क्या है खबर?
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट LRGR 120 का पहला फ्लाइट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में किया गया। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रॉकेट ने तय योजना के अनुसार उड़ान भरी और 120 किलोमीटर की अधिकतम रेंज पर बिल्कुल सटीक निशाना लगाया। यह उपलब्धि भारतीय सेना की लंबी दूरी की मारक क्षमता को और मजबूत करती है।
रॉकेट सिस्टम
क्या है पिनाका LRGR 120?
पिनाका LRGR 120, पिनाका रॉकेट सिस्टम का नया और उन्नत गाइडेड वर्जन है। इसमें 120 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता है, जो मौजूदा पिनाका रॉकेट्स की लगभग 80 किलोमीटर रेंज से कहीं ज्यादा है। यह रॉकेट गाइडेंस सिस्टम से लैस है, जिससे इसकी सटीकता काफी बढ़ जाती है। इसे दुश्मन की आर्टिलरी पोजीशन, सप्लाई सेंटर और कमांड ठिकानों को दूर से निशाना बनाने के लिए तैयार किया गया है।
परीक्षण
परीक्षण कैसे किया गया?
DRDO ने इस रॉकेट को पहले से इस्तेमाल हो रहे पिनाका लॉन्चर से ही दागा। इसका मतलब है कि सेना को इसके लिए नया लॉन्च प्लेटफॉर्म नहीं चाहिए होगा। टेस्ट के दौरान रॉकेट की पूरी उड़ान को आधुनिक ट्रैकिंग सिस्टम से मॉनिटर किया गया। अधिकारियों के अनुसार, उड़ान के दौरान सभी इन-फ्लाइट मूवमेंट तय मानकों के अनुसार रहे। इससे यह साफ हुआ कि नया गाइडेड रॉकेट मौजूदा सिस्टम के साथ आसानी से काम कर सकता है।
काम
किसने किया विकास और कैसे करता है काम?
पिनाका LRGR 120 को आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट ने डिजाइन किया है, जिसमें DRDO की दूसरी प्रयोगशालाओं का भी अहम तकनीकी सहयोग रहा है। रॉकेट इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम के साथ मिड-कोर्स अपडेट और अंतिम चरण में करेक्शन का इस्तेमाल करता है। इससे निशाने पर गिरने में होने वाली चूक बहुत कम हो जाती है। यही तकनीक इसे लंबी दूरी से भी बेहद सटीक हथियार बनाती है, जो आधुनिक युद्ध जरूरतों के लिए उपयोगी है।
अहमियत
सेना के लिए क्यों है अहम?
पिनाका LRGR 120 भारतीय सेना की आर्टिलरी ताकत में बड़ा इजाफा करेगा। इसकी लंबी रेंज के कारण लॉन्च यूनिट दुश्मन से सुरक्षित दूरी पर रहकर हमला कर सकेंगी, जिससे युद्ध के हालात में सैनिकों की सुरक्षा बढ़ेगी। यह रॉकेट उन आर्टिलरी रेजिमेंट्स में तैनात किया जाएगा जो पहले से पिनाका सिस्टम का इस्तेमाल कर रही हैं। आने वाले समय में इसके और परीक्षण किए जाएंगे, जिसके बाद बड़े पैमाने पर इसे शामिल किया जा सकता है।