ऑनलाइन शॉपिंग और सर्च साइट्स की जगह ले लेंगे टॉप AI एजेंट्स- बिल गेट्स
क्या है खबर?
माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने कहा कि टॉप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट एजेंट जल्द ही सर्च-इंजन, प्रोडक्टिविटी और ऑनलाइन शॉपिंग साइटों के लिए मुश्किल खड़ी करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि लोग सर्च के लिए सर्च साइट पर और ऑनलाइन शॉपिंग के लिए अमेजन आदि पर जाना बंद कर देंगे।
AI फॉरवर्ड 2023 नामक कार्यक्रम में बोलते हुए गेट्स ने कहा कि अगर माइक्रोसॉफ्ट AI की दौड़ में नहीं होती तो उन्हें निराशा होती।
स्टार्टअप
इंफ्लेक्शन AI से प्रभावित हुए बिल गेट्स
गेट्स ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दौड़ में शीर्ष पर पहुंचने की 50 प्रतिशत संभावना एक स्टार्टअप की होगी। उन्होंने कहा कि जो भी शीर्ष पर पहुंचता है वो बड़ी बात होगी।
गेट्स ने कहा कि रीड हॉफमैन द्वारा सह-स्थापित की गई इंफ्लेक्शन AI ने उन्हें प्रभावित किया है। विभिन्न उद्योगों ने AI संचालित एक कंप्यूटर असिस्टेंट बनाने पर काम किया है, जिसे उपभोक्ता वॉयस या टेक्स्ट इनपुट देकर अपने लिए कई प्रकार के कार्य कर सकते हैं।
कार्यक्रम
OpenAI के अध्यक्ष ने कही ये बात
गोल्डमैन सैक्स और SV एंजल द्वारा सैन फ्रांसिस्को में आयोजित AI फॉरवर्ड क्रार्यक्रम में OpenAI के अध्यक्ष ग्रेग ब्रॉकमैन भी शामिल हुए।
उन्होंने यहां AI और वैश्विक स्तर पर इसके रेगुलेशन के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इसमें विभिन्न विचारों वाले लोगों को एकजुट और सहमत होने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, "हम AI नीति के बारे में लोकतांत्रिक निर्णय लेने के बारे में सोच रहे हैं।"
सरकार
AI के नियमन के लिए IAEA जैसी संस्था का विचार
ब्रॉकमैन ने इस बात पर भी चर्चा की कि दुनियाभर की सरकारों को आपस में मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि AI सुरक्षित रूप से विकसित हो।
उन्होंने और OpenAI ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) जैसी संस्था AI के डिप्लॉयमेंट पर प्रतिबंध लगा सकती है। ये सुरक्षा मानकों का पालन और कंप्यूटिंग शक्ति के उपयोग को ट्रैक कर सकती है।
बता दें, AI के विकास के लिए नियम बनाए जाने की मांग लंबे समय से हो रही है।
मॉडल
AI के अंधाधुंध विकास से खतरे की आशंका
दरअसल, AI के विकास की दौड़ में कंपनियां एक-दूसरे से ज्यादा ताकतवर मॉडल तैयार करने में लगी हैं।
टेक जगत के कई बड़े जानकार AI के इस अंधाधुंध और बिना किसी नियम के होने वाले विकास को समाज और इंसानों के लिए खतरा मान रहे हैं।
इसके अलावा लोगों के डाटा और प्राइवेसी आदि को लेकर भी खतरे की आशंका जताई गई है। इस वजह से कुछ देशों में ChatGPT जैसे AI के इस्तेमाल पर बैन भी लगा था।