तारों का चक्कर लगाने वाले एक्सोप्लैनेट पर पानी होने का संकेत, खगोलविदों ने बताई बड़ी बात
खगोलविदों की एक टीम ने पाया कि अंतरिक्ष में लाल बौने तारे की परिक्रमा करने वाले दो एक्सोप्लैनेट पर ज्यादातर पानी हो सकता है। खगोलशास्त्री कैरोलीन पियाउलेट और सहयोगियों के अध्ययन से पता चला कि पृथ्वी से लगभग 218 प्रकाश-वर्ष दूर केप्लर-198C और 198D एक्सोप्लैनेट्स की जोड़ी हमारे ग्रह के द्रव्यमान के दोगुने के साथ पृथ्वी से लगभग तीन गुना बड़े हैं। पृथ्वी की तुलना में कम घना होने के कारण खगोलविदों का अनुमान है कि यहां ज्यादातर पानी है।
चट्टान और लोहे के मिश्रण से बने हैं एक्सोप्लैनेट्स
ANI के अनुसार, खगोलविदों ने अध्ययन में पाया कि सितारों की परिक्रमा करने वाले हजारों एक्सोप्लैनेट्स सुपर-अर्थ हैं, जो चट्टान और लोहे के मिश्रण से बने हैं। खगोलविदों का मानना है कि इन सुपर-अर्थ की सतह पर वायुमंडल और महासागर या झीलें हैं। यह बर्फ, तरल या भाप किसी भी रूप में हो सकते हैं। गौरतलब है कि अगर किसी ग्रह पर पूरा जमा हुआ या उबल रहा पानी हैं, तो भी वह रहने योग्य नहीं हो सकता।