सौरमंडल में 12 नए चंद्रमा की खोज, बृहस्तपति बना सबसे ज्यादा चांद वाला ग्रह
क्या है खबर?
सौरमंडल से जुड़ी नई खोज में अंतरिक्ष एजेंसियां और वैज्ञानिक लगातार प्रयास करते रहते हैं। नतीजन नए उपग्रहों की खोज लगातार जारी है।
इस बीच खगोलविदों ने पृथ्वी की कक्षा से परे बृहस्पति (जूपिटर) के चारों ओर 12 नए चंद्रमा की खोज की है।
बृहस्पति अब सबसे अधिक चांद वाला ग्रह बन गया है। 12 नए चंद्रमा मिलने से इस ग्रह के पास 92 चंद्रमा हो गए। इससे पहले 83 चंद्रमा के साथ शनि सबसे अधिक चांद वाला ग्रह था।
जोवियन
92 चंद्रमा के साथ जोवियन बना मिनी सोलर सिस्टम
वाशिंगटन में कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के खगोलशास्त्री स्कॉट शेपर्ड की टिप्पणियों में दर्जनों नए चंद्रमाओं का पता चला है। नए मिले चंद्रमा की पुष्टि और इसके विवरण का प्रकाशन माइनर प्लैनेट सेंटर (MPC) ने किया है।
जोवियन सिस्टम अब इन 92 चंद्रमाओं के साथ अपने आप में एक मिनी सोलर सिस्टम है। बृहस्पति पहले से ही सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह था। नए खोजे गए चंद्रमा 340 दिनों में अपनी कक्षाओं को पूरा करते हैं।
चंद्रमा
एक कक्षा पूरी करने में लगाते हैं 550 दिनों से भी अधिक समय
नए खोजे गए चांद बहुत छोटे और दूर भी हैं। बताया गया है कि इन 12 चंद्रमा में से नौ चांद उन 71 चांद में से हैं, जो ग्रह के सबसे बाहरी जोवियन चंद्रमाओं में से हैं, जो 550 दिनों से अधिक समय में एक कक्षा (ऑर्बिट) को पूरा हैं।
स्काई एंड टेलीस्कोप के मुताबिक, नए खोजे गए चंद्रमा में से तीन उन 13 उपग्रहों में से हैं, जो विपरीत दिशा में परिक्रमा करते हैं।
नासा
जोवियन का पता लगाने के लिए मिशन भेजने की तैयारी में नासा
इन चंद्रमा की खोज ऐसे समय हुई, जब नासा लगभग सालभर में जोवियन दुनिया का पता लगाने के लिए एक मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है।
यूरोपा क्लिपर मिशन पृथ्वी से परे महासागर की दुनिया का पहला समर्पित और विस्तार से स्टडी करने की तैयारी कर रहा है।
अध्ययन से यह पता चलेगा कि यहां जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं या नहीं। अभियान का उद्देश्य यूरोपा की आवास क्षमता की जांच करने के लिए उसका पता लगाना है।
गैस
क्या है जोवियन?
बृहस्पति, शनि, अरुण (यूरेनस) और वरुण (नेप्च्यून) को जोवियन ग्रह कहा जाता है। ये सूर्य से बहुत दूर परिक्रमा करते हैं और इनकी कोई ठोस सतह नहीं है। ये हाइड्रोजन और हीलियम से बने गैस के बड़े गोले हैं। ये स्थलीय ग्रहों पृथ्वी, बुध, शुक्र और मंगल से बहुत बड़े हैं।
पार्थिव ग्रह तेजी से ठंडे हुए, जिससे इनके उपग्रहों की संख्या कम है। जोवियन ग्रह देरी से शीतल हुए, जिसके कारण इनके उपग्रहों की संख्या अधिक मिलती है।