सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ प्रस्तुत किया गया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव क्या है?
क्या है खबर?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी की परेशानी बढ़ती जा रही है।
बजट सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर अपनी प्रतिक्रिया में उन्हें 'बेचारी' कहने को लेकर सोनिया और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के आरोप में राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया गया है।
आइए जानते हैं विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव क्या होता है।
टिप्पणी
सोनिया ने क्या की थी टिप्पणी?
राष्ट्रपति मुर्मू ने 31 जनवरी को बजट सत्र की शुरुआत के लिए संसद को संबोधित किया था।
इसके बाद सदन के बाहर प्रतिक्रिया मांगने पर सोनिया ने कहा था, "अंत तक राष्ट्रपति बहुत थक चुकी थीं। बेचारी, वह मुश्किल से बोल पा रही थीं।"
इस बीच राहुल ने कहा था, "अभिभाषण पूरी तरह बोरिंग (उबाऊ) था। एक ही बात को बार-बार दोहरा रहे हैं?"
सोनिया की इस टिप्पणी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने विरोध जताया था।
भाषण
राहुल ने क्या की टिप्पणी?
राहुल ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर कहा था कि चीन विनिर्माण क्षेत्र में भारत से आगे निकल गया है और प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में भारत को एक दशक पीछे छोड़ दिया।
उन्होंने दावा किया कि चीन 4,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक भारतीय जमीन पर कब्जा कर चुका है, जबकि सरकार पहले इसे नकार चुकी है।
राहुल का आरोप था कि भारतीय सेना ने भी सीमा की स्थिति पर प्रधानमंत्री के दावों का खंडन किया है।
जानकारी
राहुल ने यह भी लगाया आरोप
राहुल ने आरोप लगाया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह का प्रधानमंत्री मोदी को निमंत्रण दिलाने के लिए दिसंबर 2024 में अमेरिका की यात्रा की थी। इस पर भाजपा सांसदों ने काफी हंगामा किया था।
प्रस्ताव
सोनिया के खिलाफ लिया गया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के नेतृत्व में भाजपा सांसदों ने सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और सोनिया के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।
नोटिस में कहा गया है, "हम राष्ट्रपति के खिलाफ सोनिया गांधी द्वारा की गई कुछ असंसदीय और अपमानजनक टिप्पणियों के बारे में बहुत निराशा के साथ लिख रहे हैं, जो गंभीर विचार और अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग करती हैं। टिप्पणी पर किसी भी तरह से संसदीय विशेषाधिकार का लाभ नहीं मिलता है।"
जानकारी
प्रियंका गांधी ने किया सोनिया का बचाव
सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, "मेरी मां 78 वर्षीय महिला हैं। वह राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करती हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया द्वारा इस तरह की बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। वे दोनों सम्मानित व्यक्ति हैं।"
प्रस्ताव
राहुल के खिलाफ सांसद निशिकांत दुबे ने पेश किया प्रस्ताव
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने का आग्रह किया है।
उन्होंने राहुल पर संसद में अपनी टिप्पणियों से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।
दुबे ने कहा कि राहुल ने देश का उपहास करने और गणतंत्र की प्रतिष्ठा को कम करने के लिए ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
विशेषाधिकार
क्या होते हैं संसदीय विशेषाधिकार?
संसदीय विशेषाधिकार सांसदों को दिए जाने वाले विशिष्ट अधिकार हैं, जो उन्हें परिणामों की चिंता किए बिना अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कुछ हद तक कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं।
हालांकि, किसी भी भारतीय कानून में संसदीय विशेषाधिकार की स्पष्ट व्याख्या नहीं की गई है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 में केवल 2 विशेषाधिकारों का उल्लेख है, जिनमें संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सदन की कार्यवाही को प्रकाशित करने का अधिकार शामिल है।
जानकारी
विशेषाधिकार में क्या मिलती है सुरक्षा?
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत सदन की कार्यवाही के दौरान सदस्यों को सिविल प्रक्रिया के तहत गिरफ्तारी और नजरबंदी से संरक्षण है। सांसदों को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले और बाद के बाद 40 दिनों तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
हनन
क्या है विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव?
किसी सदस्य को लगता है कि उसके विशेषाधिकार का उल्लंघन या दुरुपयोग हुआ है तो वह सदन के अध्यक्ष या सभापति के समक्ष हनन प्रस्ताव या शिकायत दर्ज करा सकता है।
इसमें मामला किसी हालिया घटना तक सीमित होना चाहिए तथा परिषद को इसमें शामिल होना चाहिए।
प्रारंभिक जांच के बाद अध्यक्ष/सभापति के पास प्रस्ताव स्वीकार या अस्वीकार करने का विकल्प होता है। स्वीकृत होने के बाद प्रस्ताव को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाता है।
सुझाव
विशेषाधिकार समिति दे सकती है सुझाव
विशेषाधिकार समिति प्रस्ताव की जांच करने के बाद उचित समझे जाने वाले सुझाव दे सकती है।
इसके अतिरिक्त, वह संबंधित सदस्य को बुलाकर पूछताछ कर सकती है और आवश्यक दस्तावेजों की जांच कर सकती है।
इसके बाद समिति को प्रस्ताव पर 30 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है। समिति की रिपोर्ट पर सदन उसकी समीक्षा कर सकता है और उसमें बदलाव का प्रस्ताव दे सकता है।
गंभीर परिस्थितियों में सदस्यों को दंडित करने की सलाह दी जाती है।