
महाराष्ट्र: हिंदी विरोध ने राज और उद्धव ठाकरे को एकजुट किया, 5 जुलाई को निकालेंगे रैली
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर जारी विवाद ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को करीब आने का मौका दे दिया है। दोनों चचेरे भाइयों ने 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त रैली निकालने का ऐलान किया है। पहले ये रैली अलग-अलग निकाली जाने वाली थी, जिसे अब एक साथ निकाला जाएगा। इस कदम ने महाराष्ट्र की सियासत में हलचल भी बढ़ा दी है, क्योंकि दोनों भाई 20 साल बाद साथ नजर आएंगे।
रैली
NCP-शरद ने भी किया समर्थन
शिवसेना (उद्धव) के नेता संजय राउत ने एक तस्वीर साझा की है, जिसमें उद्धव और राज एक साथ दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने लिखा, 'महाराष्ट्र के स्कूलों में अनिवार्य हिंदी के खिलाफ एक एकीकृत मार्च होगा। ठाकरे ब्रांड हैं!' रिपोर्ट के मुताबिक, 5 जुलाई को सुबह 10 बजे दोनों भाई गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-शरद) ने भी ठाकरे भाइयों का समर्थन किया है।
विवाद
हिंदी भाषा को लेकर क्या है विवाद?
महाराष्ट्र सरकार ने अप्रैल में सभी मराठी और अंग्रेजी स्कूलों में कक्षा पहली से 5वीं तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया था। ये फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रि-भाषा नीति के अनुरूप लिया गया था। विपक्षी पार्टियों ने इसकी खूब आलोचना की। विरोध के बाद सरकार ने हिंदी के अलावा दूसरी भारतीय भाषाएं चुनने की विकल्प भी दिया। शर्त रखी गई कि एक कक्षा में कम से कम 20 छात्र हिंदी के अलावा दूसरी भाषा को चुनें।
बयान
हिंदी के विरोध में किसने-क्या कहा?
उद्धव ने कहा था, "मराठी लोग अच्छी हिंदी समझते हैं और बोलते हैं तो इसे थोंपने की जरूरत नहीं है। हम इस नीति का समर्थन कनहीं करते।" राज ने कहा था, "हिंदी लागू करना महाराष्ट्र में निरंकुश शासन लाने का छिपा हुआ एजेंडा है। यह मराठी के महत्व को कम करने की साजिश है।" शरद ने कहा था, "अगर बच्चों पर दूसरी भाषा का बोझ डालेंगे, तो इससे मातृभाषा को नजरअंदाज कर दिया जाएगा।"
सरकार
मामले पर सरकार का क्या कहना है?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि तीसरी भाषा नीति पर अंतिम फैसला सभी हितधारकों, साहित्यकारों, भाषाविदों और नेताओं से विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा। फडणवीस ने इसे लेकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे, राज्य मंत्री डॉ पंकज भोयर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की है। वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने कहा, "महायुति सरकार ने कहीं भी हिंदी भाषा को जबरन नहीं थोपा है। हिंदी को 'अनिवार्य' नहीं बनाया है।"
ठाकरे बंधु
उद्धव और राज में क्या है विवाद?
राज शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के भतीजे हैं। एक वक्त में राज की शिवसेना में नंबर 2 की हैसियत थी। माना जाता था कि आगे चलकर राज ही पार्टी की कमान संभालेंगे। हालांकि, बालासाहेब द्वारा उद्धव को उत्तराधिकारी घोषित करने के फैसले से नाराज होकर राज ने 27 नवंबर, 2005 को शिवसेना से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी 'महाराष्ट्र नव निर्माण सेना' बनाई। हालिया समय में दोनों नेताओं ने साथ आने के संकेत दिए हैं।