उत्तराखंड: तीरथ सिंह रावत ने दिया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, संवैधानिक अड़चन को बताया कारण
क्या है खबर?
उत्तराखंड की राजनीति में शुक्रवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है।
दरअसल, इस साल मार्च में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह राज्य की कमान संभालने वाले तीरथ सिंह रावत ने संवैधानिक कारणों के चलते महज 115 दिन बाद ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने देर रात राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंपा। इसके साथ ही साफ हो गया कि उत्तराखंड को फिर से नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है।
पृष्ठभूमि
तीरथ सिंह ने 10 मार्च को ली थी मुख्यमंत्री पद की शपथ
भाजपा ने इस साल फरवरी में उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ बगावती सुर उठने के बाद नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय किया था।
उसके बाद पार्टी ने लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत को प्रदेश की कमान सौंपने का फैसला लिया था।
इसको लेकर तीरथ सिंह ने 10 मार्च को मुख्यमंत्री की पद की शपथ ली थी, लेकिन शपथ ग्रहण के चार महीने बाद ही पद से इस्तीफे की खबर ने राजनीतिक चर्चाओं को हवा दे दी है।
आभार
तीरथ सिंह ने जताया पार्टी नेतृत्व का आभार
रात करीब सवा 11 बजे राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने का मौका देने के लिए पार्टी नेतृत्व का आभार जताया।
उन्होंने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त करता हूं। केंद्रीय नेतृत्व ने समय-समय पर मुझे अवसर दिए। इसके लिए मैं पार्टी आलाकमान को अपना धन्यवाद देता हूं। संवैधानिक संकट खड़ा होने के कारण इस्तीफा दिया है।'
उपलब्धि
तीरथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में गिनाई अपनी उपलब्धियां
दिल्ली से देहरादून लौटने के बाद रात करीब 10 बजे तीरथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उस दौरान उन्होंने इस्तीफे के सवाल पर चुप्पी साध ली।
इस दौरान उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि कोरोना महामारी पर निजात पाने के साथ ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म क्षेत्र की काफी मदद की है। विभागों को 2,000 करोड़ की सहायता दी है। इस दौरान उन्होंने 20 हजार नई नियुक्तियां करने का भी ऐलान कर दिया।
पत्र
तीरथ सिंह ने भाजपा अध्यक्ष को पत्र लिखकर की इस्तीफे की पेशकश
आज तक के अनुसार तीरथ सिंह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र भेजकर इस्तीफे की पेशकश की थी।
इसमें उन्होंने लिखा था, 'अनुच्छेद 164-A के तहत उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद छह महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन अनुच्छेद 151 के अनुसार विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम समय होने पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं।'
कारण
विधानसभा उप चुनाव पर आयोग की रोक है प्रमुख कारण
NDTV के अनुसार तीरथ सिंह के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के पीछे कारण उप चुनावों पर आयोग की रोक होना है।
जनप्रतिधि कानून की धारा 191A के तहत तीरथ सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के छह महीने में यानी 10 सितंबर तक विधायक बनना ज़रूरी है।
सबसे बड़ी बात है कि उत्तराखंड की दो सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं, लेकिन कोरोना महामारी को लेकर चुनाव आयोग ने रोक लगा रखी है। ऐसे में उपचुनाव की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
तलाश
नए मुख्यमंत्री की तलाश के लिए नरेंद्र सिंह तोमर पर्यवेक्षक नियुक्त
ABP न्यूज के अनुसार भाजपा नेतृत्व ने उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री की तलाश के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। तोमर शनिवार सुबह 11 बजे देहरादून पहुंच जाएंगे।
भाजपा ने सभी विधायकों को 11 बजे देहरादून बुलाया है। इसके बाद 3 बजे विधायक दल की बैठक होगी।
केंद्र की ओर से भेजे जाने वाले नाम पर विधायकों की सहमति लेने की कोशिश की जाएगी। उसके बाद नए मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया जाएगा।
सुगबुगाहट
भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद शुरू हुई थी नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट
बता दें कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह पिछले तीन दिनों में दिल्ली में डेरा जमाए बैठे हैं। उन्होंने बुधवार को ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और नड्डा से मुलाकात कर ली और उनका उसी दिन उत्तराखंड लौटने का कार्यक्रम था, लेकिन उन्होंने कार्यक्रम बदल दिया।
इसके बाद उन्होंने शुक्रवार को फिर से नड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद यह चर्चाएं उठने लगी थीं कि कहीं यह उत्तराखंड में फिर से नेतृत्व परिवर्तन की आहट तो नहीं है?