सोनिया गांधी ने मनरेगा की समाप्ति को नैतिक विफलता बताई, कहा-अगला निशाना होगा खाद्य सुरक्षा कानून
क्या है खबर?
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने सोमवार को द हिंदू में लेख लिखकर मनरेगा की समाप्ति के लिए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया और कई आरोप लगाए। राज्यसभा सांसद गांधी ने 'मनरेगा का बुलडोजर से विध्वंस' शीर्षक वाले लेख में तर्क दिया कि ग्रामीण रोजगार योजना का कमजोर होना सामूहिक नैतिक विफलता है। उन्होंने कहा कि केंद्र लगातार कानूनों को कमजोर कर रही है और चेतावनी दी कि अगला निशाना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून हो सकता है।
मनरेगा
मनरेगा एक मांग अधिकार आधारित योजना थी- सोनिया
उन्होंने लिखा, "मनरेगा महज एक कल्याणकारी पहल नहीं बल्कि एक मांग और अधिकार आधारित कार्यक्रम था जो ग्रामीण परिवारों को आजीविका सुरक्षा और सम्मान प्रदान करता था। योजना का पतन सामूहिक नैतिक विफलता है।" उन्होंने लिखा, "मनरेगा ने महात्मा गांधी के सभी के कल्याण के दृष्टिकोण को साकार किया और काम करने के संवैधानिक अधिकार को लागू किया। इसके अंत से वित्तीय और मानवीय परिणाम भारत के करोड़ों मेहनतकश लोगों के लिए आने वाले वर्षों तक गंभीर रहेंगे।"
संकल्प
अगला निशाना हो सकता है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून
श्रीमती गांधी ने केंद्र सरकार पर कई कानूनों को कमजोर करके मौलिक अधिकारों के व्यवस्थित रूप से हनन का आरोप भी लगाया। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा के अधिकार को कमजोर कर दिया है, जिसने एक लाख प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने को वैध ठहरा दिया है। वन अधिकार अधिनियम, 2006 को वन (संरक्षण) नियम, 2022 से काफी कमजोर कर दिया है। उन्होंने चेतानवी दी कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013, अगला निशाना हो सकता है।