
सोनिया गांधी ने संसद में उठाई मजदूरों की आवाज, मनरेगा मजदूरी 400 रुपये करने की मांग
क्या है खबर?
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और सांसद सोनिया गांधी ने मंंगलवार को राज्यसभा में मजदूरों की आवाज उठाई और भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने का आरोप लगाया।
उन्होंने शून्यकाल में कहा, "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानि मनरेगा एक ऐतिहासिक कानून है, जो लाखों ग्रामीण गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच रहा है। हालांकि, यह बेहद चिंताजनक है कि वर्तमान भाजपा सरकार ने इस योजना को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया है।"
मांग
मजदूरी 400 रुपये करने और कार्य दिवस 150 दिन करने की मांग
उन्होंने आरोप लगाया कि योजना के लिए बजट 86,000 करोड़ रुपये पर ही ठहरा है, जो असल में 4,000 करोड़ रुपये की कमी को बताता है। यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 10 साल का निम्नतम स्तर है।
उन्होंने मांग की कि मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिदिन और समय पर भुगतान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत गारंटीकृत कार्यदिवसों की संख्या प्रति वर्ष 100 दिन से बढ़ाकर 150 दिन किया जाना चाहिए।
घातक
मजदूरों के सामने कई बाधाएं- सोनिया
सोनिया गांधी ने योजना को प्रभावित करने वाली चुनौतियों को भी सामने रखा और आधार-आधारित भुगतान और राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (NMMS) का बहिष्कार किया।
उन्होंने कहा कि मजदूरी भुगतान में लगातार देरी हो रही है और मजदूरी दरें महंगाई से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं।
बता दें, NMMS ऐप, मनरेगा कार्यस्थलों पर श्रमिकों की वास्तविक समय उपस्थिति के साथ-साथ जियोटैग्ड फोटोग्राफ लेने की अनुमति देता है।
कांग्रेस का कहना है कि इससे सुदूर दलित-आदिवासी मजदूर प्रभावित हो रहे हैं।