शशि थरूर ने बांग्लादेश में भीड़तंत्र को बताया चिंताजनक, कहा- बहाल हों लोकतांत्रिक मानदंड
क्या है खबर?
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बांग्लादेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर की गई हत्या को लेकर कहा कि इस तरह का भीड़तंत्र नहीं चलना चाहिए। बता दें कि पैगंबर मोहम्मद पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में भीड़ ने दीपू पर हमला कर दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद भीड़ ने उसके शरीर को एक पेड़ से बांधकर आग लगा दी।
प्रतिक्रिया
थरूर ने मामले पर क्या दी प्रतिक्रिया?
थरूर ने ANI से बात करते हुए बांग्लादेश में लोकतांत्रिक मानदंडों को बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि फरवरी 2026 में चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने कहा, "इस तरह का भीड़तंत्र नहीं चलना चाहिए। वहां जिस तरह की स्थिति बन रही है, वह बेहद चिंताजनक है।" उन्होंने आगे कहा, "इस तरह की स्थिति बांग्लादेश और भारत दोनों देशों के लिए अच्छी नहीं है। हम वहां शांति चाहते हैं और यह बहुत जरूरी है।"
निंदा
थरूर ने की मीडिया पर हमलों की निंदा
थरूर ने प्रोथोम आलो और द डेली स्टार जैसे मीडिया संस्थानों पर लक्षित भीड़ हमलों को प्रेस की स्वतंत्रता और बहुलवादी समाज की नींव पर हमला करार दिया है। उन्होंने महफूज अनम सहित पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि जब उनके कार्यालयों पर हमले हो रहे हों तो उनका डरना स्वाभाविक है। उन्होंने खुलना और राजशाही स्थित भारतीय सहायक उच्चायोगों में वीजा सेवाओं के जबरन निलंबन का भी मुद्दा उठाया।
चेतावनी
थरूर ने भारत के लिए संभावित रणनीतिक चुनौतियों की चेतावनी दी
थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय विदेश मामलों की स्थायी समिति ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश की स्थिति 1971 के मुक्ति युद्ध के बाद भारत के लिए सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बन सकती है। समिति की रिपोर्ट में पीढ़ीगत मतभेद और भारत से दूर होते राजनीतिक बदलावों पर चिंता व्यक्त की गई है। इसमें शेख हसीना की सत्ता से बेदखल होने और उनकी पार्टी के पतन के बाद उभर रही इस्लामी ताकतों को भी महत्वपूर्ण मोड़ बताया गया है।