
शशि थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व के साथ मतभेद की बात स्वीकार की, जानिए क्या कहा
क्या है खबर?
केरल के तिरुवनन्तपुरम से लगातार 4 बार के सांसद और कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्य शशि थरूर ने गुरुवार को कांग्रेस नेतृत्व के साथ मतभेद की बात स्वीकार की है।
उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस, उसके मूल्य, उसके कार्यकर्ता उनके लिए बहुत प्रिय हैं।
उन्होंने कहा, "हां, पार्टी नेतृत्व के साथ कुछ मुद्दों पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें बंद कमरे में सुलझाया जा सकता है, इस पर चर्चा करने का कोई कारण नहीं।"
बयान
नीलांबुर उपचुनाव के प्रचार में न बुलाए जाने पर क्या बोले थरूर
थरूर ने मतभेद की बात करते हुए कहा कि कुछ मुद्दे सार्वजनिक हैं। हालांकि, उनके मतभेद राष्ट्रीय स्तर पर है या राज्य नेतृत्व में, यह स्पष्ट नहीं किया।
उनसे पत्रकारों ने नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव के प्रचार में शामिल न होने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वह प्रचार के लिए आमंत्रित नहीं थे, उनको पार्टी की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली।
इसके बाद भी उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व वाले UDF उम्मीदवार की जीत की संभावना जताई है।
भाजपा
क्या भाजपा में जा सकते हैं थरूर?
थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व के साथ मतभेदों पर उपचुनाव के बाद बात करने का संकेत दिया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात और 'ऑपरेशन सिंदूर' से जुड़े विदेश दौरे पर उठ रहे सवालों पर कहा, "मैंने अपनी लाइन नहीं बदली है, जब राष्ट्र से जुड़ा मुद्दा आएगा, तो हमारा कर्तव्य है कि हम देश के लिए काम करें और बोलें।"
ऑपरेशन सिंदूर पर उन्होंने कहा कि केंद्र ने उनकी सेवाएं मांगी थी, इसलिए उन्होंने भारतीय नागरिक का फर्ज निभाया।
जानकारी
थरूर ने क्यों स्वीकार किया केंद्र का प्रस्ताव?
थरूर ने बताया कि उन्होंने केंद्र द्वारा विदेशी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव इसलिए स्वीकार किया क्योंकि वह विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं और उनका ध्यान भारतीय विदेश नीति और राष्ट्रीय हित पर है, न कि कांग्रेस-भाजपा की विदेश नीति पर।
विवाद
क्या है शशि थरूर से जुड़ा विवाद?
33 देशों में पाकिस्तान के खिलाफ भारत का रुख रखने और 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में बताने के लिए केंद्र सरकार ने 59 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के 7 समूह बनाए थे।
कांग्रेस ने थरूर का नाम प्रस्तावित नहीं किया था, लेकिन केंद्र ने अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई थरूर को सौंपी थी। इससे कांग्रेस हाईकमान नाराज था।
इसके बाद थरूर ने विदेश में मोदी की सराहना की थी, जिस पर भी कांग्रेस ने नाराजगी जताई थी।