
संविधान की प्रस्तावना पर विवाद: RSS नेता के बाद असम के मुख्यमंत्री ने की ये मांग
क्या है खबर?
संविधान की प्रस्तावना से कुछ शब्दों को हटाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नेता दत्तात्रेय होसबोले के बाद अब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी प्रस्तावना में से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद जैसे शब्द हटाने की मांग की है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि संविधान की प्रस्तावना से इन शब्दों को हटाने का यही सही समय है। इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया।
असम
सरमा बोले- धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद प्रस्तावना का हिस्सा नहीं थे
सरमा ने कहा, "आपातकाल के 2 प्रमुख परिणाम हमारे संविधान में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद शब्द जोड़ना था। मेरा मानना है कि धर्मनिरपेक्षता सर्व धर्म समभाव के भारतीय विचार के खिलाफ है। समाजवाद भी कभी भी हमारी आर्थिक दृष्टि नहीं थी, हमारा ध्यान हमेशा सर्वोदय अंत्योदय पर रहा है। इसलिए, मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह इन दो शब्दों को प्रस्तावना से हटा दे, क्योंकि वे मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे।"
उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति धनखड़ बोले- ये दोनों शब्द नासूर की तरह
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, "किसी भी संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा होती है। भारत को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं हुआ है। प्रस्तावना अपरिवर्तनीय है। प्रस्तावना आधार है, जिस पर पूरा संविधान टिका है। यह उसकी बीज-रूप है। यह संविधान की आत्मा है, लेकिन भारत की इस प्रस्तावना को 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत बदल दिया गया। 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' और 'अखंडता' जैसे शब्द जोड़ दिए गए।"
होसबोले का बयान
होसबोले के बयान से शुरू हुआ विवाद
26 जून को आपातकाल को लेकर होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना के 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था, "बाबासाहेब अंबेडकर ने प्रस्तावना में इन शब्दों का कभी इस्तेमाल नहीं किया था। ये शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए, जब मौलिक अधिकार रद्द कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी और न्यायपालिका लंगड़ी हो गई थी। प्रस्तावना से 2 शब्दों को हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया।"
राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा था- RSS को संविधान चुभता है
होसबोले के बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था, 'RSS का नकाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है, क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। RSS-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है। RSS ये सपना देखना बंद करे - हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे।'