नेशनल हेराल्ड मामला: मार्च करते हुए ED कार्यालय पहुंचे राहुल गांधी, कांग्रेस का बड़ा प्रदर्शन
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश हुए। राहुल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मार्च करते हुए दिल्ली स्थित ED कार्यालय पहुंचे और उनकी बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी इस दौरान उनके साथ रहीं। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए उनके घर के सामने भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया, जिसने प्रदर्शन कर रहे कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
कांग्रेस ने देश के अन्य इलाकों में भी किया प्रदर्शन
राहुल की पेशी को सरकार के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन का मौका बनाते हुए कांग्रेस ने देश के अन्य इलाकों में भी प्रदर्शन किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, पार्टी के कार्यकर्ता देशभर में स्थित ED के लगभग 25 कार्यालयों के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय प्रवक्ताओं को अलग-अलग इलाकों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का निर्देश भी दिया गया है। सचिन पायलट को लखनऊ और पवन खेड़ा को अहमदाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का आदेश दिया गया है।
23 जून को सोनिया गांधी की भी पेशी
ED ने मामले में सोनिया गांधी को भी समन भेजा है। पहले उन्हें 8 जून को पेश होना था, लेकिन वह कोरोना संक्रमित हो गईं। अभी वह अस्पताल में भर्ती हैं और 23 जून को उनकी पेशी पर भी आशंका के बादल छाए हुए हैं।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
साल 2013 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर करते कांग्रेस नेता राहुल और सोनिया गांधी पर नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अधिग्रहण में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। उनका आरोप था कि यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) के जरिए इसका गलत तरीके से अधिग्रहण किया गया और इससे कांग्रेस नेताओं ने 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हथिया ली। YIL में 38-38 प्रतिशत यानि 76 प्रतिशत शेयर राहुल और सोनिया के पास हैं।
YIL ने कैसे किया AJL पर कब्जा?
AJL ने घाटे के कारण 2008 में नेशनल हेराल्ड और अन्य अखबारों को बंद कर दिया। उस समय उस पर कांग्रेस का 90.25 करोड़ रुपये का कर्ज था। कांग्रेस ने इस कर्ज वसूली का अधिकार YIL नामक कंपनी को दे दिया, जिसने इसके बदले में 10 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर AJL के नौ करोड़ शेयर खरीद लिए। इससे AJL के 99 प्रतिशत शेयर YIL के पास आ गए और वह इसकी मालिक कंपनी बन गई।
कांग्रेस ने मामले में क्या सफाई दी है?
कांग्रेस का कहना है कि YIL को चैरिटी के मकसद के साथ खोला गया था और यह एक गैर-लाभकारी कंपनी है। उसका यह भी कहना है कि लेनदेन में किसी भी तरह का घोटाला नहीं किया गया और ये कंपनी के शेयर ट्रांसफर करने के लिए मात्र एक व्यावसायिक लेनदेन था। उसने भाजपा सरकार पर राजनीति से प्रेरित होकर कार्रवाई करने और एजेंसियों का राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।